जाधव मामले में पाक की लचर दलीलों के बाद फैसले का इंतजार
नई दिल्ली। पाकिस्तान में पहले भी भारतीय नागरिकों को जेल भेजा जाता रहा है या उन्हें जासूसी के आरोप में सजा दी जाती रही है। लेकिन, यह पहला मामला है जब सरकार अपने एक नागरिक के बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंची है। भारत ने सोमवार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने का मामला उठाया।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अपनी दलीलों से पाकिस्तान की करतूतों को बेनकाब कर दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने लचर दलील पेश कर सफाई देने का प्रयास किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने कहा कि वह जल्द-से-जल्द अपना फैसला सुना देगा। इससे पहले भारत ने कहा कि अदालत का फैसला आने से पहले ही इस्लामाबाद जाधव को फांसी पर लटका सकता है। इसलिए उनके मृत्युदंड पर तत्काल रोक लगाई जाए।
बहस की शुरुआत करते हुए विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने जाधव पर लगे आरोपों को मनगढ़ंत और सैन्य अदालत की ट्रायल को हास्यास्पद करार दिया। दोनों पक्षों को दलील देने के लिए डेढ़ घंटे का समय दिया गया। पाकिस्तानी दलीलों के जवाब में हरीश साल्वे ने कहा कि एक तरफ वह जाधव को भारतीय जासूस बता रहा है। वह कह रहा है कि उसे भारत में प्रशिक्षित किया गया। और दूसरी तरफ उसके वकील ने कहा कि भारत जाधव को अपना नागरिक साबित नहीं कर सका। यह बड़ा विरोधाभास है।