पत्नी माता-पिता से अलग करने की कोशिश करे तो पति दे सकता है तलाक
हिन्दू समाज में एक लड़के का पवित्र दायित्व है कि वो अभिभावकों की देखभाल करे। अगर पत्नी इस बात के लिए विवश करे कि पति अपने माता-पिता से अलग रहे तो यह क्रूरता है, जिसके कारण वह तलाक मांग सकता है।
नई दिल्ली: तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर विरोध जताया है। हलफनामे में केंद्र ने कहा कि ट्रिपल तलाक महिलाओं के साथ लैंगिग भेदभाव है। जेंडर इक्वेलिटी और महिलाओं की गरिमा ऐसी चीजें हैं, जिस पर समझौता नहीं किया जा सकता। हलफनामे में ये भी कहा गया है कि भारत में महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकार देने से इनकार नहीं किया जा सकता। ट्रिपल तलाक को धर्म के आवश्यक हिस्से के तौर पर नहीं लिया जा सकता।
भारत के संवैधानिक इतिहास में पहली बार केंद्र सरकार ने मुसलमानों के बीच तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह प्रथा का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। साथ ही लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता जैसे आधार पर इन पर पुनर्विचार करने का समर्थन किया। तीन तलाक से मतलब एक साथ तीन बार ‘तलाक’ बोलने से है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय समझौतों, धार्मिक व्यवहारों और विभिन्न इस्लामी देशों में वैवाहिक कानून का जिक्र किया ताकि यह बात सामने लाई जा सके कि एक साथ तीन बार तलाक की परंपरा और बहुविवाह पर शीर्ष न्यायालय द्वारा नये सिरे से फैसला किए जाने की जरूरत है।