देश की पहली कोरोना मरीज वुहान लौटना चाहती है, पिता बोले- करियर के लिए आगे बढ़ना होगा
वुहान से लौटने के बाद कोरोना पॉजिटिव मिली थी छात्रा
वर्ष 2020 के आखिरी दिनों में जब वुहान से पैदा हुई
पूरी मानवता के लिए अभिशाप बनने को बेताब दिखी। तभी मेडिकल की यह छात्रा त्रिसुर लौट आई थी। हालांकि, सप्ताह भर बाद ही उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। अगर वुहान में ही उसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती तो उसके लिए भारत लौटना भी मुश्किल हो जाता क्योंकि चीन ने कोविड का प्रसार रोकने के लिए वुहान से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को पूरी तरह रोक दिया था।
52 सप्ताह का इंटर्नशिप बाकी
छात्रा उन दिनों को याद नहीं करना चाहती है। उसे यह भी पसंद नहीं कि उसके सामने कोई उसका जिक्र भी छेड़े। पिछले दो वर्षों में घर से ही ऑनलाइन क्लास कर रही है। उसने पिछले वर्ष दिसंबर महीने में एमबीबीएस कोर्स को ऑनलाइन ही कंप्लीट कर लिया था और परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि, अब उसे कॉलेज लौटना होगा क्योंकि चीन के कानून के मुताबिक, एमबीबीएस स्टूडेंट्स को 52 सप्ताह तक इंटर्नशिप प्रोग्राम में शामिल होना ही पड़ता है। इसके लिए ग्रैजुएशन फाइनल ईयर के बाद अस्पताल में उसकी मौजूदगी जरूरी होती है। इसके बिना डिग्री नहीं मिलती है।
दो बार संक्रमित हुई थी मेडिकल छात्रा
हालांकि, वुहान में कॉलेज अभी भी बंद हैं क्योंकि महामारी में उतार-चढ़ाव आ रहा है और यह खत्म नहीं हो रही है। छात्रा के पिता ने कहा, ‘उसे चीन जाना है… हमने चीन में पढ़ रहे सैकड़ों मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए वहां के अधिकारियों से बातचीत की गुहार केंद्र सरकार से लगाई है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘महामारी ने सबको प्रभावित किया है… मेरी बेटी भी अलग नहीं है। वह संक्रमित होने वाले अन्य लोगों की तरह जिंदगी में आगे बढ़ चुकी है। मेरी बेटी दो बार संक्रमित हुई थी। हम भी एक बार संक्रमित हुए थे। जुलाई 2020 में मेरी पत्नी और मां को निमोनिया हुआ था।’
छात्रा में कोविड के दिखे थे सामान्य लक्षण
डॉक्टरों की नजर में मेडिकल की वह छात्रा एक मरीज थी। तब वायरस को लेकर कुछ जानकारी नहीं थी और उससे पैदा हुई बीमारी को कोई नाम भी नहीं दिया गया था। बाद में उसे कोविड-19 कहा गया। चूंकि छात्रा युवा है इसलिए उसमें कोविड के सामान्य लक्षण दिखे थे। उसके गले में खरास हुई थी और राइनटिस की भी शिकायत हुई थी जो तुरंत ठीक हो गई थी। त्रिसूर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. एमए एंड्रूज ने कहा, ‘वह हमारे सीखने की प्रक्रिया थी।’ 31 जनवरी, 2020 को देश के पहले मरीज को इसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती किया गया था।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स