Sikh Riots in 1984: हाई कोर्ट ने कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर एसआईटी से मांगा जवाब, 28 मार्च को अगली सुनवाई
कोर्ट के निर्देश के बाद एक बयान में सिरसा ने कहा, ‘‘सिख विरोधी दंगे मामलों में सिख समुदाय को इंसाफ की बाट जोहते हुए 37 साल से अधिक समय हो गया। कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के साथ कुछ सफलताएं मिली हैं, लेकिन अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। दंगे के अन्य गुनाहगार कमलनाथ और अन्य कांग्रेसजनों के मामलों की अब तक सुनवाई नहीं हुई और उन्हें सजा नहीं सुनाई गई है।’’ उन्होंने आगे कहा कि बृहस्पतिवार को अदालत के फैसले ने समुदाय में एक आस फिर जगाई है कि हर गुनाहगार को उसके गुनाहों की सजा मिलेगी।
सिरसा ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह एसआईटी को पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में 1984 में दर्ज की गई प्राथमिकी में कमलनाथ के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दें। इस मामले में पांच व्यक्तियों को बतौर आरोपी नामजद किया गया था और उन्हें कथित रूप से कांग्रेस नेता के घर पर ठहराया गया था। इन आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया। कमलनाथ को एफआईआर में कभी नामजद नहीं किया गया।
सिरसा ने अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह कमलनाथ को अविलंब गिरफ्तार करने का निर्देश दे। सिरसा का पक्ष अदालत में वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह और वकील गुरबख्श सिंह ने रखा।
यह मामला यहां गुरद्वारा रकाब गंज में दंगाइयों द्वारा हमला से जुड़ा है। कमलनाथ ने आरोपों से इनकार किया था। एसआईटी ने सितंबर 2019 में सिख विरोधी दंगों से संबंधित सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया था जहां आरोपी या तो बरी कर दिए गए या सुनवाई बंद कर दी गई। अधिसूचना जारी होने के बाद सिरसा ने दावा किया कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कथित रूप से उन पांच लोगों को शरण दिया था जो सात मामलों में एक में आरोपी है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स