नीतीश सरकार के लिए बुरा दिन, हाइवे पर हाईकोर्ट नाराज तो कोरोना पर 'सुप्रीम' फटकार
बिहार की नीतीश सरकार की ग्रह-दशा बुधवार को कुछ ठीक नजर नहीं आई। पहले बिहार की सबसे बड़ी अदालत की सड़कों पर नाराजगी और फिर देश की सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी ने सुशासन पर सवाल खड़े कर दिए। यहां पढ़िए पूरा मामला
बिहार में कोरोना से मौत के आंकड़ों पर भरोसा नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिए जाने को लेकर राज्य सरकारों पर नाराजगी जताई है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश और बिहार सरकार के मुख्य सचिवों से दोपहर दो बजे ऑनलाइन पेश होने और यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि का वितरण उनके राज्यों में कम क्यों हुआ है।
बिहार सरकार को फटकारशीर्ष अदालत ने कहा कि वह कोविड-19 से मृत्यु के बिहार द्वारा दिए गए आंकड़ों को खारिज करती है और ये आंकड़े वास्तविक नहीं बल्कि सरकारी हैं। पीठ ने बिहार सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से कहा, ‘हमें भरोसा नहीं हो रहा कि बिहार राज्य में कोविड के कारण केवल 12,000 लोगों की मृत्यु हुई। हम चाहते हैं कि आपके मुख्य सचिव दो बजे डिजिटल तरीके से यहां पेश हों।’
इससे पहले पटना हाईकोर्ट सड़कों पर नाराज
इससे पहले पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बिहार के तीन जिलों – खगड़िया, मधेपुरा और सहरसा से गुजरने वाले NH-107 के एक खंड को चौड़ा करने में देरी पर नाराजगी जताई। अदालत ने इस संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से विस्तृत जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 90 किमी की परियोजना की सुस्त चाल पर नाराजगी जताई।
नेशनल हाईवे में काम पर सुस्त चाल को लेकर पटना हाईकोर्ट नाराज
अदालत को सूचित किया गया था कि परियोजना की समय सीमा 19 दिसंबर, 2021 को समाप्त हो गई थी और स्थानीय लोगों द्वारा कई बिंदुओं पर अवरोधों के कारण इसे जून 2023 तक बढ़ा दिया गया था। आरोप का जवाब देते हुए, अतिरिक्त महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने तर्क दिया कि यदि इस तरह के आरोप हैं तो हलफनामे के माध्यम से जमा कराने पर प्रशासन और पुलिस कार्रवाई करेगी। एनएचएआई के वकील ने अपने मुवक्किल की ओर से अदालत को आश्वासन दिया कि इस साल जून तक इस परियोजना पर 50 फीसदी काम पूरा कर लिया जाएगा। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 25 जनवरी को करेगी।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स