NCPCR ने दारूल उलूम को गोद लिए बच्चों के अधिकार से जुड़े फतवे पर भेजा नोटिस, कहा- कानून के खिलाफ हैं ऐसे फतवे
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दारूल उलूम के खिलाफ यूपी के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस भेजा है। दारूल उलूम पर लोगों को भ्रमित करने वाला फतवा जारी करने का आरोप है। दारूल उलूम देवबंद की तरफ से जारी एक फतवा में कहा गया है कि गोद लिए बच्चे को असल बच्चे जैसे अधिकार नहीं मिल सकते। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि इस तरह के फतवे कानून के खिलाफ हैं।
वेबसाइट के 10 लिंक भी शेयर किए
एनसीपीआर को दारूल उलूम देवबंद की वेबसाइट और गैरकानूनी व भ्रमित करने वाले फतवे के लोक शिकायत मिली थी। इस विषय पर आयोग की तरफ से सहारनपुर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को लिखे लेटर में देवबंद के फतवे का जिक्र किया गया है। साथ ही वेबसाइट के 10 लिंक भी शेयर किए गए हैं। इनमें से एक फतवे में दारूल उलूम देवबंद कहता है कि बच्चा गोद लेना गैरकानूनी नहीं है, बल्कि सिर्फ बच्चे को गोद लेने से वास्तविक बच्चे का कानून उस पर लागू नहीं होगा बल्कि यह आवश्यक होगा कि मैच्योर होने के बाद वह परिपक्व होने के बाद उससे शरिया पर्दा का पालन करें।
बच्चा किसी भी मामले में वारिस नहीं होगा?
फतवे में आगे कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चे को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा और बच्चा किसी भी मामले में वारिस नहीं होगा। आयोग ने कहा कि यहां यह उल्लेख करना उचित है कि इस तरह के फतवे न केवल देश के कानून को गुमराह कर रहे हैं बल्कि प्रकृति में भी अवैध हैं। भारत का संविधान शिक्षा के अधिकार और समानता के अधिकार सहित बच्चों के मौलिक अधिकारों का प्रावधान करता है। इसके अलावा, गोद लेने पर हेग कन्वेंशन, जिसमें भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है, में कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चों को जैविक बच्चों के समान अधिकार प्राप्त होंगे।
10 दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सहारनपुर डीसी, यूपी मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, मुख्य चुनाव आयुक्त को भी इस पत्र की प्रति भेजी है। पत्र में आयोग ने अनुरोध किया है कि इस मामले में 10 दिन के भीतर एक्शन रिपोर्ट भेजी जाए।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स