इसरो साइंटिस्ट मामले में जवाब के लिए CBI ने मांगा वक्त, सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी को करेगा सुनवाई

इसरो साइंटिस्ट मामले में जवाब के लिए CBI ने मांगा वक्त, सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी को करेगा सुनवाई
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नई दिल्ली
इसरो के साइंटिस्ट नांबी नारायण को जासूसी के झूठे मामले में फंसाने के आरोपी पुलिस कर्मियों और आईबी अधिकारी को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ सीबीआई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टाल दी गई है। सीबीआई ने इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए वक्त देते हुए सुनवाई टाल दी।

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से कहा गया कि उन्हें रिजॉइंडर (जवाबी हलफनामे) दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का वक्त चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 28 जनवरी के लिए टाल दी है। पिछली सुनवाई के दौरान 22 नवंबर को इसरो के वैज्ञानिक नांबी नारायण को जासूसी के झूठे मामले में फंसाने के मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों और आईबी अधिकारी को दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ सीबीआई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था।

केरल हाई कोर्ट ने आईबी अधिकारी और तीन पुलिस कर्मियों को अग्रिम जमानत दी थी जिस फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसरो के साइंटिस्ट नांबी को 1994 में जासूसी केस में फंसाने के आरोप पुलिस कर्मियों और आईबी के अधिकारी पर लगे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच में सीबीआई की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए।

सीबीआई ने कहा कि उक्त पुलिस कर्मियों ने मिलकर इसरो साइंटिस्ट को फंसाया था। इस मामले में जस्टिस डीके जैन की कमिटी ने रिपोर्ट दी थी जिसके बाद सीबीआई आगे बढ़ी थी। पिछले साल शीर्ष अदालत ने 26 जुलाई को कहा था कि इसरो के साइंटिस्ट को झूठे जासूसी मामले में फंसाने और प्रताड़ना मामले में पूर्व जस्टिस डीके जैन की कमिटी ने आरोपी पुलिस कर्मियों के रोल को लेकर जो जांच की है थी सिर्फ उस रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई मामले में अभियोजन नहीं कर सकती बल्कि सीबीआई को इस मामले में तथ्य जुटाना होगा। 2018 में इस मामले की जांच के लिए हाई पावर कमिटी बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस डीके जैन की अगुवाई वाली कमिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को कमिटी का गठन किया था और केरल सरकार से कहा था कि नारायणन के अपमान के मामले में उन्हें 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। नारायण को मामले में बरी किया गया था।1994 का ये मामला है। इसमें आरोप है कि कुछ गोपनीय दस्तावेज अन्य देश के लोगों को सौंपा गया था। इस मामले में साइंटिस्ट नारायणन को गिरफ्तार किया गया था। बाद में सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी थी और केरल के तत्कालीन आला पुलिस अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं। यह मामला तब काफी तूल पकड़ लिया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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