मर चुका है दामाद, बेटी और नातिन अफगानिस्‍तान में फंसे… SC का आदेश- प्रत्‍यर्पण की गुहार पर केंद्र ले फैसला

मर चुका है दामाद, बेटी और नातिन अफगानिस्‍तान में फंसे… SC का आदेश- प्रत्‍यर्पण की गुहार पर केंद्र ले फैसला
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नई दिल्‍ली सुप्रीम कोर्ट ने एक शख्स की उस अर्जी पर केंद्र सरकार को फैसला लेने को कहा है जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान की पुल ए चरखी जेल में कस्टडी में बंद उनकी बेटी और नाबालिग नातिन को भारत प्रत्यर्पित करने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा है कि वह वीजेएस फ्रांसिस के आवेदन पर आठ हफ्ते में फैसला करे।

सुप्रीम कोर्ट में एर्नकुलम के रहने वाले फ्रांसिस ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि एनआईए ने उनकी बेटी के खिलाफ यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियों से संबंधित कानून) के तहत केस दर्ज कर रखा है। आरोप लगाया गया है कि उनके दामाद ने उनकी बेटी और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर एशियाई देशों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मंशा से आईएसआईएस का प्रचार करने की साजिश रची थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि अफगानिस्तान पहुंचने के बाद उनका दामाद मारा जा चुका है। लेकिन, उनकी बेटी और नातिन को अन्य महिलाओं के साथ अफगानिस्तान की फोर्स के सामने 15 नवंबर 2019 को सरेंडर करना पड़ा था। जबकि वे किसी लड़ाई में सक्रिय नहीं थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फ्रांसिक के आवेदन पर केंद्र सरकार फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांसिस को यह भी इजाजत दी है कि वह केंद्र के फैसले से अगर संतुष्ट न हुए तो केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। शीर्ष अदालत ने याची से कहा है कि केंद्र के फैसले से अंसुष्ट होने पर आठ हफ्ते बाद वह केरल हाई कोर्ट जा सकता है।

याचिकाकर्ता की अर्जी पिछले साल जुलाई में दाखिल की गई थी तब तालिबान का कब्जा अफगानिस्तान पर नहीं था। याची ने कहा कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद जेलों को नष्ट किया गया है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि फ्रांसिस की बेटी और नातिन जेल में हैं या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मामलों को देखने का काम सरकार का है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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