BSSC परचा लीक मामला :पूरी ईमानदारी से जांच करे SIT, बोले सीएम

BSSC परचा लीक मामला :पूरी ईमानदारी से जांच करे SIT, बोले सीएम
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पटना : बीएसएससी पेपर लीक कांड में एसआइटी बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है. एक आइएएस अधिकारी के चार करीबियों समेत छह लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. उनसे पूछताछ हुई है, जिसमें पेपर लीक कराने में अध्यक्ष सुधीर कुमार के साथ उनकी सहभागिता की पुष्टि हुई है. इस पूछताछ में मिली जानकारियों के अाधार पर एसआइटी बुधवार को उक्त आइएएस अिधकारी को गिरफ्तार कर सकती है. उक्त अधिकारी एक बड़े ओहदे पर कार्यरत हैं.

सूत्रों की मानें, तो एसआइटी ने गोपनीय तरीके से कोर्ट में वारंट के लिए प्रे कर दिया है. कोर्ट से इजाजत मिलते ही एसआइटी गिरफ्तारी कर सकती है. इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है. जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनमें से तीन कदमकुआं से उठाये गये हैं.
जिस अफसर की गिरफ्तारी की तैयारी है, उनके शहर से भाग जाने की भी आशंका है, इसलिए एसआइटी ने रेलवे स्टेशन व हवाई अड्डे पर अपने स्पाइ लगा रखे हैं. उन पर नजर रखी जा रही है. खास बात यह है कि जिस अफसर की गिरफ्तारी की तैयारी चल रही है, उनके आवास का पता लगाने में एसआइटी के पसीने छूट गये. अफसर के ड्राइवर और गार्ड को भी उनके आवास का पता नहीं मालूम है. वह सरकारी गाड़ी को कभी अपने आवास पर लेकर नहीं जाते हैं.

सूत्रों की मानें, तो इनकम टैक्स गोलंबर के पास अपनी दोपहिया गाड़ी रोज लगाते हैं और वहीं से सरकारी गाड़ी बुला कर आॅफिस जाते हैं. आॅफिस से आवास जाने पर भी सरकारी गाड़ी उन्हें इनकम टैक्स के पास छोड़ देती है. एसआइटी ने अब तक जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनके मोबाइल फोन  के कॉल डिटेल्स को खंगाल रही थी.

वहीं से पता चला है कि एक और अफसर हैं, जो पेपर लीक करानेवाले आरोपितों से बातचीत करते थे. उनकी बात अहमदाबाद के प्रिंटिंग प्रेस मालिक से भी हुई है और अन्य लोगों से भी, जो गिरफ्तार हो चुके हैं. इस संबंध में हिरासत में लिये गये लोगों ने भी एसआइटी के सामने सारा सच कबूल किया है. इसी आधार पर कोर्ट में वारंट के लिए प्रे किया गया है. अब उनकी गिरफ्तारी होनी है.
साक्ष्य मिटाने का है आरोप, सुधीर कुमार को दिलवाया था नया सिम कार्ड  
एसआइटी के टारगेट पर अब जो आइएएस अधिकारी हैं, उन पर साक्ष्य मिटाने का आरोप है. सूत्रों की मानें, तो सुधीर कुमार को गिरफ्तारी से दो दिन पहले अपना मोबाइल फोन बंद करने, पटना से हजारीबाग जाने की सलाह भी इसी आइएएस अधिकारी ने दी थी. इसी ने उन्हें नया सिम कार्ड भी उपलब्ध कराया था. बताया जा रहा है कि सुधीर की गिरफ्तारी से तीन दिन पहले उनके भांजे को एसआइटी ने उठा लिया था. इसके बाद से ही सुधीर कुमार की गतिविधियां संदिग्ध हो गयी थीं. इसके बाद उनके भाई और उनकी पत्नी को एसआइटी ने उठाया था. इस बीच में उक्त आइएएस अधिकारी ने उनकी मदद की थी.
सुधीर कुमार का भांजा आशीष रिमांड पर
पटना. बीएसएससी  अध्यक्ष सुधीर कुमार के भांजे आशीष कुमार को एसआइटी ने रिमांड पर लिया है, जबकि उनके प्रोफेसर भाई अवधेश कुमार और पूर्व सचिव परमेश्वर राम को रिमांड पर लेने की एसआइटी तैयारी कर रही है. एसआइटी को प्रिंटिंग प्रेस के मालिक व मैनेजर से  पेपर लीक के बारे में जो जानकारी मिली है, उसके संबंध में तीनों से पूछताछ होगी और कुछ आरोपों का सत्यापन भी किया जायेगा.
पूरी ईमानदारी से जांच करे एसआइटी : मुख्यमंत्री 
पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) पेपर लीक मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एसआइटी पूर्वाग्रह से ग्रसित हुए बिना पूरी ईमानदारी से जांच करे. वह न किसी के बयान पर, न ही किसी की बातों पर ध्यान दे. पूरे मामले की जांच में इसका असर नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री मंगलवार को बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुए वाद-विवाद के बाद जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि बीएसएससी पेपर लीक की बात जब सामने आयी, तो डीजीपी और गृह सचिव को जांच करने को कहा. तो उन्होंने रिपोर्ट दी कि सही में पेपर लीक हुआ है.
इसके बाद एसआइटी का गठन किया गया. एसआइटी जांच कर रही है और साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई भी कर रही है. किसी भी प्रकार की कार्रवाई चेहरा देख कर नहीं होती है. कोई समझौता नहीं हो सकता है. कार्रवाई होगी. मैं कुरसी पर खाली बैठनेवाले नहीं हूं. इसके लिए जनता ने जनादेश नहीं दिया है. पूरी निष्पक्षता से काम करता हूं.
मामला आयेगा, तो जांच का आदेश दूंगा. न किसी को फंसाऊंगा और न ही किसी को बचाऊंगा.किसी को बेवजह फंसाया नहीं जा रहा है. अगर किसी को बेवजह फंसाया जा रहा है, तो वे कोर्ट में दावा कर सकते हैं. जांच में जो दोषी होगा, उस पर कार्रवाई तो होगी. देश में राष्ट्रपति का पद ही ऐसा है, जिनके खिलाफ जांच नहीं हो सकती है.
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों के मामलों में भी जांच हो सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी मामले की सीबीआइ जांच का फैशन चल रहा है. कभी-कभी लगता है कि सीबीआइ जांच की मांग किसी अनुसंधान की जो प्रगति रहती है, उसमें बाधा डालने का तो नहीं होता है.
सीबीआइ को बिहार के कई मामले दिये गये, लेकिन जांच की प्रगति आगे नहीं बढ़ी. ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड की जांच के लिए  सीबीआइ से अनुशंसा की गयी थी, लेकिन उसने लौटा दिया था. दोबारा फिर अनुशंसा की गयी और सीबीआइ जांच शुरू हुई, लेकिन पुलिस ने जो जांच की थी, उससे जांच आगे नहीं बढ़ी. मुजफ्फरपुर के नवरुणा चक्रवर्ती मामले की जांच में भी सीबीआइ ने कोई प्रगति नहीं की. यही हाल पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में दिखा. पुलिस अनुसंधान से मामला आगे नहीं बढ़ा.
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