आप कहना क्या चाहते हैं सड़क किसानों ने नहीं पुलिस ने ब्लॉक की है…जब सुप्रीम कोर्ट ने वकील दुष्यंत दवे से पूछा
सड़क को अनंतकाल के लिए ब्लॉक नहीं किया जा सकतासुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ मामला पेंडिंग रहने के दौरान भी किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वह सड़क को अनंतकाल के लिए ब्लॉक नहीं कर सकते हैं। जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वह केस पेंडिंग रहने के दौरान भी किसानों के प्रदर्शन के अधिकार के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आप इस तरह से सड़कों को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं। कुछ न कुछ समाधान तो निकालना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश नहीं हो सकता: दुष्यंत दवेसुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि 17 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा था कि प्रदर्शन का अधिकार अहम है और हम प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। इस दौरान जस्टिस एसके कौल ने कहा कि कानून बना हुआ है। हम यहां सड़क जाम की बात कर रहे हैं। कानून साफ है कि प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं किया जा सकता है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों को बताया जाए कि वह इस मामले में समस्या के समाधान में सहयोग करें।
तुषार मेहता ने रखा अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 2020 दिसंबर के आदेश में नहीं जाना चाहते हैं। इस दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जो आदेश पारित किया था उसमें प्रदर्शनकारियों के सड़क जाम का मुद्दा नहीं था वह मामला कृषि कानून को चुनौती देने से संबंधित मामला था। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि कानून साफ है कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन आप सड़क ब्लॉक नहीं कर सकते हैं।
पुलिस की व्यवस्था के कारण सड़क जाम- दवेसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब मामला कोर्ट के सामने आया और कृषि कानून को चुनौती दी गई तो किसान यूनियन को बुलाया गया था। लेकिन वह कोर्ट के सामने नहीं आए। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के अमल पर रोक लगा दी थी। लेकिन फिर भी किसी अन्य कारणों से प्रदर्शन जारी है। इस पर दुष्यंत दवे ने कहा कि प्रदर्शन कृषि कानून के खिलाफ है। सॉलिसिटर जनरल मामले को अलग दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
दवे लगता है आवेश में लग रहे हैं- तुषार मेहतातब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दवे आवेश में लग रहे हैं। फिर दवे ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है। 100 दिन बाद हम फिजिकल कोर्ट में मिले हैं सब खुश हैं। जस्टिस कौल ने कहा कि हमें प्रसन्न होना चाहिए। आप सभी को काफी दिनों बाद हमने देखा है। हमें इस समस्या का समाधान करना होगा। जस्टिस कौल ने कहा कि हमारा मत है कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन लोगों को भी सड़क पर चलने का अधिकार है। इस पर दवे ने कहा कि पुलिस ने सड़कों को ब्लॉक कर रखा है।
आपका मतलब है सड़कों को ब्लॉक नहीं किया गया- सुप्रीम कोर्टतब कोर्ट ने सवाल किया कि आपका मतलब है कि सड़कों को ब्ल़ॉक नहीं किया गया है। दवे ने कहा कि इस समस्या का समाधान यह है कि प्रदर्शनकारियों को रामलीला मैदान में आने दिया जाए। प्रदर्शनकारी किसानों को रोका गया है और बीजेपी रामलीला मैदान में पांच लाख लोगों की रैली कर रही है इस तरह से सेलेक्टिव इजाजात क्यों? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जब उन्हें अंदर आने की इजाजत दी गई तो कुछ गंभीर समस्याएं हुई। दवे ने कहा कि वह सब मुद्दे बनाए गए। लालकिला पर जो कुछ भी हुआ उसमें सबको बेल तक मिल चुकी है और कोई मसला नहीं बचा।
सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से मांगा जवाबजस्टिस कौल ने सवाल किया कि कि दवे आप बताएं कि क्या आपका कहना है कि सड़क को जाम किया गया या फिर आपका ये कहना है कि पुलिस ने सड़क को ब्लॉक किया है। दवे ने इस पर कहा कि सड़क इसलिए जाम है क्योंकि जिस तरह से पुलिस ने वहां इंतजाम किया है उस कारण ब्लॉक हुआ है। उन्हें यह बात पसंद आ रहा है कि लोगों में यह फीलिंग है कि किसानों ने जाम कर रखा है। उन्हें रामलीला मैदान में आने दिया जाए।
प्रशांत भूषण भी हुए पेशइस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ लोगों का जंतर मंतर और रामलीला मैदान घर है वह उसी भरोसे रहते हैं। प्रशांत भूषण 4 किसान संगठनो की ओर से पेश हुए। कुल 41 किसान संगठन और नेताओं को मामले में पक्षकार बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़कों को अंतहीन तरीके से नहीं घेरा जा सकता है। वहीं दुष्यंत दवे ने कहा कि जिस तरह से सिक्युरिटी प्रबंध किया गया है उसी कारण सड़क जाम है। इस दौरान दवे ने कहा कि किसानों को रामलीला मैदान में जाने से रोकने के कारण ही सड़कों पर ब्लॉकेज हुआ है। उन्हें रामलीला मैदान में आने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने को कहासुप्रीम कोर्ट ने मामले में किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने को कहा है और सुनवाई सात दिसंबर के लिए टाल दी है। नोएडा बेस्ड एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लगते हैं जो बुरे सपने की तरह है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली से सटे राज्यों को जवाब दाखिल करने को कहा था। फिर मामले में किसान संगठनों को पक्षकार बनाया गया।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स