केंद्र सरकार ने जारी की न्यू स्कूल सेफ्टी गाइडलाइंस, पालन न होने पर स्कूलों पर लगेगा भारी जुर्माना, रद्द भी की जा सकती है मान्यता

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नई दिल्ली
तकरीबन चार पहले गुरुग्राम की एक घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। यहां एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल में सात साल के बच्चे की निर्मम हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद स्कूलों में सुरक्षा को लेकर काफी बवाल मचा। घटना के बाद इलाके में कर्फ्यू तक लगाना पड़ गया था। अब घटना के चार साल बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एक विशेषज्ञ समिति के सुझावों के आधार पर स्कूल सुरक्षा और जवाबदेही दिशानिर्देश तैयार किए हैं। यहां पर हम आपको एक एक करके सभी नियमों के बारे में बताएंगे। इस सप्ताह सभी राज्यों को सभी सरकारी और निजी स्कूलों में इन नियमों को लागू करने के लिए नए ‘स्कूल सुरक्षा और सुरक्षा दिशानिर्देश’ के तहत कहा गया है।

1- गाइडलाइंस का पालन न करने पर प्राइवेट स्कूलों का पिछले वर्ष का कुल राजस्व का 5% जुर्माना लगाया जा सकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 और किशोर न्याय मॉडल नियम 2016 के प्रावधानों के तहत राज्यों द्वारा दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया जाना है।

2- दिशानिर्देशों में साफ कहा गया है कि अगर स्कूल छात्रों को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करने में विफलता, आपदा या अपराध के समय कार्रवाई में देरी, सुरक्षा संबंधी चूक, तथ्यों को छुपाना और उपयुक्त प्राधिकारी को रिपोर्ट नहीं करना है तो स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

3- इसके अलावा विशेष आवश्यकता वाले छात्रों और बच्चों के लिए एक सुरक्षित बुनियादी ढांचा स्थापित करने में लापरवाही, भोजन और पानी की गुणवत्ता में लापरवाही, किसी बच्चे द्वारा की गई शिकायत पर कार्रवाई में ढिलाई होगी तो स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

4- मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न (मेंटली और इमोशनली हैरसमेंट), गलत कामों को रोकने में विफलता, भेदभावपूर्ण कार्रवाई, नशीली सामग्री का सेवन, कोविड -19 दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन में चूक सहित शारीरिक दंड।

5- दिशानिर्देशों का सुझाव है कि एक निजी स्कूल अगर इन गाइडलाइंस का पालन ठीक से नहीं करते हैं तो ऐसे मामले में अभिभावक शिक्षक संघ इस मुद्दे को खंड शिक्षा अधिकारी को दिखाना होगा। जिसे जिला मजिस्ट्रेट को सतर्क करना होगा और डीएम लापरवाही के आरोपों की जांच करेंगे।

6- राज्य के शिक्षा विभाग को निरंतर लापरवाही की सूचना देनी होगी, जो अस्थायी रूप से स्कूल की मान्यता रद्द कर सकता है और अन्य दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है और यहां तक कि स्कूल की स्थायी मान्यता रद्द करने पर भी विचार कर सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के बाद ही कि छात्र हित सुरक्षित है।

भारी पड़ेगी नियमों की अवहेलनाइन निर्देशों के गैर-अनुपालन करना स्कूलों को भारी पड़ सकता है। नए नियमों के अनुसार स्कूलों पर जुर्माना लग सकता है, और यहां तक कि स्कूलों की मान्यता भी छीन ली जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक विशेषज्ञ समिति द्वारा ‘स्कूल सेफ्टी एंड सिक्योरिटी पर दिशानिर्देश’ तैयार किए गए हैं। लापरवाही की 11 श्रेणियों की सूची बनाई गई, जिसके लिए स्कूल प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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