NEET सुपर स्पेशलिटी एग्जाम पैटर्न चेंज पर SC ने की केंद्र की खिंचाई, स्टूडेंट्स के ऊपर नहीं संस्थानों का हित
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी सुपर स्पेशलिटी एग्जाम ( 2021) का पैटर्न आखिरी वक्त में बदले जाने के मामले में केंद्र सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जाम (NBE) की खिंचाई की है। कहा है कि लगता है कि स्टूडेंट्स के हित से ज्यादा संस्थानों का हित हो गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनबीई को लताड़ लगाते हुए कहा है कि मेडिकल एजुकेशन और रेगुलेशन एक बिजनेस हो गया है। ये उतावलापन इसलिए है ताकि प्राइवेट कॉलेजों की सीटें खाली न रह जाएं।
देश के मेडिकल संस्थानों के लिए अच्छा संकेत नहींसुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनबीई से कहा कि नीट सुपर स्पेशलिटी एग्जाम 2021 के पैटर्न में इसलिए बदलाव किया गया है कि प्राइवेट कॉलेजों की सीटें खाली न रह जाएं। कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जाम (एनबीई) को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें पीजी डॉक्टरों ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जाम की ओर से नीट सुपर स्पेशलिटी कोर्स में दाखिले के लिए एग्जाम पैटर्न आखिरी वक्त में बदले जाने के फैसले को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए दोहराया कि एग्जाम के आखिरी वक्त में पैटर्न नहीं बदला जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि एग्जाम नवंबर में होने वाला था और अगस्त में पैटर्न बदल दिया गया। स्टूडेंट्स ने लगातार तैयारी कर रखी है और इस तरह से पैटर्न बदले जाने से इनकी तैयारी पर प्रतिकूल असर होगा। जब स्टूडेंट्स सुप्रीम कोर्ट आए और एग्जाम के वक्त पैटर्न बदले जाने को चुनौती दी तो कहा गया कि जनवरी में एग्जाम होगा। ये देश के मेडिकल संस्थानों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
प्राइवेट कॉलेजों की सीटें खाली रहती हैं…
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि नए पैटर्न में 100 फीसदी सवाल जनरल मेडिसिन के फीडर कैटगरी से होंगे। जबकि अभी तक के पैटर्न के हिसाब से 40 फीसदी सवाल जनरल मेडिसीन के फीडर कैटगरी से होते हैं। 60 फीसदी सवाल उन सुपर स्पेशलिटी विषय से होते हैं जो आवेदक लेना चाहते हैं। बेंच को ऐसा लगता है कि 100 फीसदी सवाल फीडर कैटगरी में लेने का मकसद यह है कि सारी सीटें भरी जा सकें और यही आइडिया है। यह सब स्टूडेंट्स के लिए पूर्वाग्रह और प्रतिकूल असर डालेगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें लग रहा है कि यह सब इसलिए किया गया है कि वेकेंसी भरी जा सके। सीटें कभी भी सरकारी कॉलेज में खाली नहीं रह पाती हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की सीटें ही खाली बचती हैं। लगता है कि ये सारी जल्दीबाजी पैटर्न बदलने की इसिलए की गई है ताकि खाली प्राइवेट कॉलेजों की सीटों को भरा जा सके। स्टूडेंट्स के हित से ज्यादा संस्थान का हित हो गया है। हम मानते हैं कि निश्चित तौर पर प्राइवेट कॉलेजों में निवेश है, लेकिन बैलेंस अप्रोच रखना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक टिप्पणी की है कि मेडिकल संस्थान और रेगुलेशन बिजनेस हो गया है। यह सब देश के मेडिकल संस्थानों के लिए दर्दनाक स्थिति है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमें स्टूडेंट्स की चिंता है
सुनवाई के दौरान जब एनबीसी के वकील ने कोर्ट से कहा कि एग्जाम पैटर्न में बदलाव एक्सर्ट की सलाह पर किया गया है तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह भी अनुच्छेद-14 यानी समानता के अधिकार के दायरे में होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर प्राइवेट कॉलेजों में सीटें न भरें और खाली रह जाएं तो चिंता कॉलेज मैनेजमेंट की है। लेकिन, क्या यह सब स्टूडेंट्स की कीमत पर होगा? अदालत ने सरकार से सवाल किया कि पैटर्न बदलने की जल्दी आपको क्यों है? 2018 से 2020 का पैटर्न आपके पास है। हमें पता है कि आपके पास एक्सपर्ट हैं, लेकिन हमें स्टूडेंट्स की चिंता है। हम आपको आखिरी मौका देते हैं अगर आपने फिर भी हठ की तो कानून के हाथ सख्त होते हैं। सुनवाई बुधवार के लिए टाल दी गई है।
एग्जाम पैटर्न बदले जाने को डॉक्टरों ने दी है चुनौती
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप डॉक्टरों को पावर गेम फुटबॉल की तरह ट्रीट न करें। आप इस मुद्दे पर मीटिंग करें और अपने घर को ठीक करें। हम डॉक्टरों को असंवेदनशील ब्यूरोक्रेट की दया पर नहीं छोड़ सकते। बेंच ने एनबीई और एनबीसी से कहा था कि वह हेल्थ मिनिस्ट्री के साथ संपर्क करें और अपने घर को व्यवस्थित करें। यह उनके (डॉक्टरों) करियर के लिए बेहद महत्वपूर्ण विषय है। आप आखिरी वक्त पर इस तरह का चेंज नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट में 41 डॉक्टरों की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जाम ने जुलाई में एग्जाम शेड्यूल दिया था और एग्जाम 13 व 14 नवंबर को होना है। इसी बीच 31 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी कर एग्जाम का पैटर्न बदले जाने की बात कही गई है। एग्जाम के आखिरी समय में पैटर्न बदले जाने को चुनौती दी गई है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स