केंद्र रोके फरक्का डैम का संचालन : सीएम
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार में हर साल आनेवाली बाढ़ का कारण फरक्का बराज है. इसका संचालन रोक (डी-कमीशन) देना चाहिए. अगर इसको लेकर कोई रास्ता निकलता हो, तो उस विकल्प पर विचार करना चाहिए. पर्यावरण को बचाने के लिए गंगा की अविरलता को बनाये रखना आवश्यक है. मुख्यमंत्री लोक संवाद कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि फरक्का बराज को लेकर बिहार ने केंद्र के सामने कई बार बातें रखी हैं. भारत की मुख्य नदी गंगा है. इसकी हालत इसी तरह बनी रही, तो आनेवाले समय में और नुकसान होगा. यह पूछे जाने पर कि क्या फरक्का बराज को ध्वस्त किया जाना चाहिए, तो मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ध्वस्त करने की बात नहीं है. हम इसका संचालन रोकने (डि कमीशन) की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि फरक्का बराज के कारण गंगा में जमा हो रहे शिल्ट और कम हो रही नदी की गहराई चिंता का विषय है. इस वर्ष जब बिहार में बाढ़ आयी, तो इसे संजीदगी से महसूस किया गया. इस संबंध में प्रधानमंत्री से बात हुई और अगले दिन इसकी जानकारी उन्हें दे दी गयी. मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को लेकर एक कमेटी बनी है. उसमें राज्य सरकार ने अपनी बात रखी है.
राष्ट्रीय जलमार्ग के लिए गंगा में जलाशय बनाने का विरोध
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय जलमार्ग बनाने की बात की जा रही है. इसके लिए जगह-जगह जलाशय (रिजर्वायर) बना कर गंगा के प्रवाह को रोकने की बात की जा रही है. बक्सर के ऊपर उत्तरप्रदेश में जलाशय बनाने का प्रस्ताव है. पहले ही इसके जल की गुणवत्ता खराब हो चुकी है. अब अगर गंगा की अविरलता को रोका गया, तो इसकी जल की गुणवत्ता और खराब हो जायेगी. इस तरह के निर्मित होनेवाले बराज को लेकर बिहार ने अपना विरोध दर्ज करा दिया है.
नीतीश कुमार ने कहा कि फरक्का बराज के निर्माण के समय लोगों ने इसका विरोध किया था. बंगाल के इंजीनियर ने भी विरोध किया था, तो उसकी बड़ी आलोचना हुई थी. ये सब बातें बाढ़ के समय भी रखी जा चुकी हैं. पिछले वर्ष की बाढ़ में सबसे अधिक नुकसान कटिहार जिले में हुआ था.
फरक्का बराज से कोई लाभ नहीं है. इसे डी-कमीशन करेंगे, तो गंगा का फ्लो प्रभावित नहीं होगा. पिछले साल बाढ़ आयी, तो सबने देखा कि गंगा की गहराई घट गयी है. पूरा दियारा इलाका प्रभावित हो रहा है. मुख्यमंत्री ने अपने 65 साल के अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि बख्तियारपुर में कभी पानी नहीं घुसा था. पिछले साल की बाढ़ में पूरा इलाका प्रभावित हुआ था.
पंजाब के अनुभवों को किया साझा
पंजाब के अनुभवों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि वहां की काली बेईं नदी की स्थिति खराब थी. उस नदी का ऐतिहासिक महत्व है. गुरु नानक साहब ने उस नदी के किनारे 14 साल तक तपस्या की. एक दिन उन्होंने उसमें डुबकी लगायी, तो तीन दिन बाद तीन किमी दूर जाकर निकले. नदी से निकलने के बाद जो शब्द उनके मुख से निकले वह ‘गुरुवाणी’ बना. उन्होंने बताया कि 350वें प्रकाश पर्व के दौरान संत बीरबल सिंह सीचेवाल पटना आये थे.
उन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में काम किया है. 160 किमी लंबी काली बेईं नदी का जीर्णोद्धार कर इसके बंद पड़े जल प्रवाह को अविरल बना दिया. उनके गांव में सीवेरेज के पानी को इकट्ठा करने के बाद प्राकृतिक उपचार कर उसका सिंचाई में उपयोग किया किया जा रहा है. सीचेवाल गांव के पानी को जमा किया गया और उसका ट्रीटमेंट किया गया, तो उसमें दुर्गंध भी नहीं है. बिहार में भी हर गांव में गली के साथ पक्की नाली का निर्माण किया जा रहा है. अब गांव का पानी कहां इकट्ठा होगा, यह समस्या आयेगी. इसको लेकर यहां भी काम किया जायेगा.
गंगा नदी की अविरलता को लेकर 25 को पटना में होगा कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी की अविरलता को लेकर 25 फरवरी को पटना में जल संसाधन विभाग ने कार्यक्रम आयोजित किया है. इसमें जल पुरुष राजेंद्र सिंह सहित अन्य विशेषज्ञ इस विषय पर चर्चा करेंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होनेवाले विशेषज्ञों ने पश्चिम बंगाल के मालदा में भी इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया है. उन्होंने कहा कि गंगा नदी को बचाने को लेकर वातावरण बनना चाहिए.
ठहरे पानी की झील बन कर रह गया है फरक्का-22
उद्देश्य हासिल करने में नाकाम रहा
गंगा नदी पर बना फरक्का बराज देश की बड़ी जल परियोजनाओं में से एक है़ पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से मात्र 16.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह 1975 में तैयार हुआ था, जिसका मुख्य उद्देश्य हुगली नदी पर स्थित कोलकाता बंदरगाह को गाद से मुक्त करना था. लेकिन, हुगली में गाद की समस्या खत्म नहीं पायी है.