पुलवामा हमले पर प्रभावी कार्रवाई ने दिखाया कि भारत अपने सैनिकों के लिए कड़े फैसले ले सकता है: शाह
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि 2019 में हुए पुलवामा हमले के खिलाफ ‘प्रभावी कार्रवाई’ करके भारत ने यह मिसाल पेश किया कि वह अपने सैनिकों के सम्मान में कड़े निर्णय ले सकता है।
शाह ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 82 वर्ष के इतिहास पर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि की तरह केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) बेहद कठिन कार्य स्थितियों का सामना करते हैं लेकिन उन्हें ‘उचित पहचान’ नहीं मिली। हालांकि, यह सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि इन जवानों और उनके परिवारों की जिंदगियां बेहतर बनाई जाएं।
गृह मंत्री ने कहा, ‘हमारा देश पुलवामा हमले को बेहद संजीदगी और सहानुभूति के साथ देखता है। इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।’ शाह ने कहा, ‘लेकिन यह पहली बार था कि जब भारत ने प्रभावी कार्रवाई करके यह सुनिश्चित किया कि सीआरपीएफ के जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाए। साथ ही यह उदाहरण पेश किया कि वह अपने सैनिकों के सम्मान में कड़े निर्णय ले सकता है।’ दरअसल, पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े टेरर कैंप को एयर स्ट्राइक से तबाह कर दिया था।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह शहादत पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। वह वसंत कुंज इलाके में सीआरपीएफ परिसर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि सीएपीएफ के जवान और राज्य पुलिस मिल कर जिस प्रकार से काम करती है, उन्हें वह पहचान और प्रसिद्धि नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे। मैं बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा हूं…. मुझे अब तक सफलता नहीं मिली है….हम यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं कि सीएपीएफ के जवानों में संतोष का स्तर 85 फीसदी तक पहुंचे और प्रत्येक जवान को अपने परिवार के साथ हर वर्ष सौ दिन बिताने का अवसर मिले।’
शाह ने कहा कि ‘रक्षा प्रथम’ नाम की यह किताब सेवारत जवानों को प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि यह किताब साथ ही उन्हें भी प्रेरित करेगी, जो देश की सेवा के लिए इसमें शामिल होना चाहते हैं। केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
साभार : नवभारत टाइम्स