शांति से बीत गया किसानों का 'रेल रोको' आंदोलन, पंजाब और हरियाणा में खास असर
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने गुरुवार को देशभर में 4 घंटे के लिए ‘रेल रोको’ अभियान चलाया जो दोपहर 12 बजे से लेकर 4 बजे तक चला। अच्छी बात यह रही कि इस दौरान कहीं से भी हिंसा या तोड़फोड़ की कोई खबर नहीं आई। किसान संगठनों ने ‘रेल रोको’ आंदोलन को सफल बताते हुए यह दावा किया है कि इससे साबित हो गया कि आंदोलन महज पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं है। दूसरी तरफ रेलवे ने बयान जारी कर कहा है कि आंदोलन से ट्रेनों की आवाजाही पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
देशभर में छोटे-बड़े स्टेशनों पर रेल पटरियों को बाधित किए जाने के बीच सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को दावा किया कि यह आंदोलन केवल पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित नहीं है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता भजन सिंह ने कहा कि सरकार लगातार यह कह रही है कि नए कृषि कानूनों का विरोध केवल दो राज्यों पंजाब एवं हरियाणा के किसान ही कर रहे हैं लेकिन रेल रोको प्रदर्शन ने सरकार को गलत साबित कर दिया है।
भजन सिंह ने कहा, ‘अलग-अलग राज्यों के किसानों ने रेल रोको प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसलिए, रेल पटरियों पर प्रदर्शन करना हमारे लिए महत्वपूर्ण था। जिस तरह रेलवे का देशभर में नेटवर्क है, उसी तरह हमारा प्रदर्शन भी देशभर में हो रहा है।’ पंजाब और हरियाणा के कई रेलवे स्टेशनों के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में रेल रोको प्रदर्शन किया गया।
वहीं, किसान नेता अमरीक सिंह ने कहा कि रेल रोको प्रदर्शन केवल 4 घंटे तक सीमित था क्योंकि किसान सरकार को एक संदेश देना चाहते थे और वे जनता के लिए असुविधा पैदा नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘हम यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी करना नहीं चाहते। हम केवल यह चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों को स्वीकार करे ताकि वे भी आराम से सो सकें और हम भी वापस अपने परिवारों के पास लौट सकें।’
के शांति से बीत जाने के बाद सरकार के साथ-साथ रेलवे ने भी राहत की सांस ली है। रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि ‘रेल रोको प्रदर्शन’ का उसकी सेवाओं पर असर नगण्य या न्यूनतम रहा। उन्होंने बताया कि अधिकतर जोनल रेलवे ने सूचित किया है कि उनके क्षेत्र में प्रदर्शन की घटना नहीं हुई। प्रवक्ता ने कहा, ‘रेल रोको प्रदर्शन बिना किसी अप्रिय घटना के समाप्त हो गया। पूरे देश में रेलगाड़ियों की आवाजाही पर इसका नगण्य या न्यूनतम असर रहा। सभी जोन में रेलगाड़ियों की आवाजाही सामान्य रही।’
यूपी, बिहार, राजस्थान समेत कई राज्यों में कुछ जगहों पर किसानों ने ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। ‘रेल रोको’ प्रदर्शन सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में असरदार रहा। दोनों राज्यों में किसान कई जगहों पर ट्रेन की पटरियों पर बैठ गए। अधिकारियों को एहतियात के तौर पर ट्रेनों को स्टेशनों पर ही रोकना पड़ा। पटरियों पर किसानों के बैठने के कारण विभिन्न रेल मार्गों पर ट्रेनों का सामान्य आवागमन बाधित रहा।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसान गीता जयंती एक्सप्रेस के इंजन पर चढ़ गए। ट्रेन उस समय खड़ी हुई थी। कुरुक्षेत्र में एक रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘ट्रेन कुरुक्षेत्र स्टेशन से अपराह्न तीन बजे के बाद रवाना होने वाली थी।’
अधिकारियों ने बताया कि पंजाब में किसान दिल्ली-लुधियाना-अमृतसर रेल मार्ग पर कई जगह ट्रेन की पटरियों पर बैठ गए। उन्होंने बताया कि जालंधर में किसानों ने जालंधर छावनी-जम्मू रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। किसानों ने लुधियाना में लुधियाना-फिरोजपुर रेल मार्ग पर मुल्लांपुर, डाखा और जगरांव में भी ट्रेन पटरियों को अवरुद्ध कर दिया। बठिंडा में बठिंडा-दिल्ली रेल मार्ग और अमृतसर-तरनतारन रेल मार्ग को भी प्रदर्शनाकरियों ने अवरुद्ध कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा में प्रदर्शन करने वालों में महिलाएं भी शामिल रहीं।
प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, पंचकूला, रोहतक, सोनीपत, हिसार और फतेहाबाद जिलों में जगह-जगह ट्रेन पटरियों को अवरुद्ध किया। जींद और फतेहाबाद जिलों सहित कुछ स्थानों पर किसान ट्रेन पटरियों पर बैठकर हुक्का पीते भी देखे गए।
अंबाला से भारतीय किसान यूनियन के नेता गुलाब सिंह मानकपुर के नेतृत्व में किसानों का एक समूह अंबाला छावनी स्टेशन से करीब दो किलोमीटर दूर शाहपुर गांव में पटरियों पर बैठ गया। किसान नेता ने कहा, ‘‘कृषि कानून वापस लिए जाने तक हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा।’
साभार : नवभारत टाइम्स