…और चौधरी देवीलाल ने राजभवन में ही राज्यपाल को जड़ दिया थप्पड़, सब सन्न
नए कृषि कानूनों को खिलाफ जारी किसान आंदोलन के बीच दिग्गज किसान नेता चौधरी देवीलाल से जुड़ी एक बेहद महत्वपूर्ण घटना से आपको रू-ब-रू कराते हैं। बात उनसे 1982 की है जब उन्होंने हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल को थप्पड़ जड़ दिया था। इस बात पर भरोसा करना आसान नहीं है, लेकिन सचाई यही है। दरअसल, तब हरियाणा में विधानसभा का चुनाव हुआ था। चुनाव परिणाम आया तो किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला।
1982 का विधानसभा चुनाव और देवीलाल के लिए मौका
ताऊ के उपनाम से मशहूर चौधरी देवीलाल की पार्टी भारतीय राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के गठबंधन ने 36 सीटें लाकर कुल 90 सीटों वाली विधानसभा में बढ़त हासिल कर ली थी। इस कारण तत्कालीन राज्यपाल गणपतराव देवजी तापसे ने 22 मई, 1982 को गठबंधन के नेता चौधरी देवीलाल को सरकार बनाने का न्योता दे दिया। लेकिन, इस बीच भजनलाल ने कांग्रेस और निर्दलियों को एकजुट कर राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया। भजनलाल ने राज्यपाल को कुल 52 विधायकों के समर्थन की लिस्ट सौंप दी।
देवीलाल ने राज्यपाल को जड़ा थप्पड़ और सन्न रह गए लोग
इस पर राज्यपाल गणपतराव देवजी तापसे ने भजनलाल को सरकार बनाने का मौका दे दिया। भजनलाल ने तुरंत मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। राज्यपाल के इस फैसले से देवीलाल इतने गुस्से हुए कि शिकायत के दौरान उन्होंने राज्यपाल की ठुड्डी पकड़ ली। वहां लोग सन्न रह गए। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली घटना थोड़ी बाद घटी। लोगों ने देखा कि चौधरी देवीलाल ने राज्यपाल को थप्पड़ जड़ दिया है।
राजनीति के मंझे खिलाड़ी ने देवीलाल पर नहीं लिया कोई ऐक्शन
राज्यपाल गणपतराव देवजी तापसे भी महाराष्ट्र के मंझे हुए नेता थे। उन्होंने इस घटना को तूल नहीं देने का फैसला किया। तापसे को लगा कि इस वाकये का जितना प्रचार होगा, उतनी ही उसकी बेइज्जती होगी। आखिरकार उन्होंने इस अप्रत्याशित घटना पर मिट्टी डालने का मन बनाया और चौधरी देवीलाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन थोड़ ठहर जाइए। इस घटना से यह मत समझ लीजिए कि देवीलाल बिल्कुल निम्नस्तरीय नेता थे। वो जितना आक्रामक थे, उतने ही नरम भी।
एक दिल दुखाने वाली घटना और शुरू कर दी वृद्धा पेंशन
पूर्व सांसद कैप्टन इंद्र सिंह ने देवीलाल के दूसरे पहलू का जिक्र करते हुए बहुत महत्वपूर्ण बात बताई। उन्होंने एक हिंदी न्यूज वेबसाइट को बताया कि देवीलाल ने क्यों बुढ़ापा पेंशन की शुरुआत की। बकौल कैप्टन इंद्र सिंह, देवीलाल अपने पुराने साथी के घर गए। संयोग से उस दिन उनके साथी की पोती की विदाई हो रही थी। पोती ने अपने अपने दादा और उनके मित्र देवीलाल के पैर छुए। देवीलाल के मित्र ने पोती को शगुन में देने के लिए घर वालों से पैसे मांगे और यह भी कहा कि देवीलाल आए हैं, चाय बना दो।
अच्छी-खासी देर हो गई, लेकिन घरवालों ने बुजुर्ग को न तो पैसे दिए और न चाय। देवीलाल को यह बात चुभ गई। उन्होंने उसी दिन ठान लिया कि सत्ता मिलते ही वृद्धा पेंशन की व्यवस्था की जाएगी ताकि किसी बुजुर्ग को इतनी जिल्लत नहीं झेलनी पड़े। देवीलाल से जुड़े ऐसे कई दिलचस्प किस्से हैं जो आपको हैरत में डाल देगी।
साभार : नवभारत टाइम्स