जो बाइडेन को 'पागल कुत्ता' कहने वाले उत्तर कोरिया की निगाहें इसलिए अमेरिकी चुनावों पर गड़ीं

जो बाइडेन को 'पागल कुत्ता' कहने वाले उत्तर कोरिया की निगाहें इसलिए अमेरिकी चुनावों पर गड़ीं
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वॉशिंगटन
अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव पर निर्णायक फैसला आने में फिलहाल वक्त है और पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी होंगी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि उत्तर कोरिया उन देशों में से एक है जिसे यह जानने का बेसब्री इंतजार होगा कि वाइट हाउस की कमान किसके हाथ में होगी। हालांकि, इतिहास में देखा गया है कि कोई भी राष्ट्रपति हो, कोरिया को लेकर नीति में ज्यादा फर्क नहीं आता है। फिर भी यह देखना दिलचस्प होगा कि अभी तक आगे चल रहे जो बाइडेन अगर सत्ता में आते हैं तो प्योंगयांग के साथ देश का रिश्ता कैसा होगा।

बाइडेन पर तल्ख टिप्पणी कर चुका है प्योंगयांग
दरअसल, यह वही उत्तर कोरिया है जिसने जो बाइडेन को ‘बेवकूफ’ कहा था। आधिकारिक बयान जारी कर प्योंगयांग ने यहां तक कह दिया था कि बाइडेन डिमेंशिया की आखिरी स्टेज पर हैं। यही नहीं, अधिकारियों ने उनकी तुलना पागल कुत्ते तक से कर डाली थी जिसे डंडे से पीट-पीटकर मार डालना चाहिए। दूसरी ओर, भले ही बाइडेन ने उत्तर कोरिया को लेकर अपनी नीति साफ न की हो, वह कह चुके हैं कि परमाणु हथियार कम करने पर राजी हुए बिना वह किम जोंग उन से मुलाकात नहीं करेंगे।

अभी क्या कर सकता है उत्तर कोरिया
दशकों से अमेरिका के राष्ट्रपतियों ने उत्तर कोरिया को परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने से रोकने की कोशिश की है। जब भी कोरिया ने किसी हथियार का परीक्षण किया है अमेरिका ने उस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ऐसे में इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप के सीनियर अडवाइजर डुयोन किम संभावना जता चुके हैं कि कोरिया अमेरिका में चुनाव के दिन से लेकर इनॉगरेशन समारोह तक भारी हथियारों के परीक्षण की कोशिश कर सकता है।

ऐसा करके वह आने वाले समय में किसी भी प्रकार के समझौते के लिए अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश कर सकता है। यही नहीं, इसके बाद वह नए राष्ट्रपति पर परीक्षण बंद करने के बदले कोई मांग पूरी करने का दबाव भी बना सकता है।

अमेरिका के सामने रखेगा शर्त?
दूसरी ओर, कोरिया का कहना है कि वह अपनी न्यूक्लियर फसिलटी तभी बंद करेगा जब अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र उस पर से प्रतिबंध हटाएंगे। इसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था से उत्तर कोरिया अलग-थलग पड़ चुका है। वहीं, डुयोन का कहना है कि चिंता बाइडेन की बातचीत करने के लिए रजामंदी नहीं, इस बात की है कि कोरिया बात करने के लिए तैयार होगा या नहीं।

बाइडेन की रणनीति कैसी होगी?
किम का कहना है कि अगर बाइडेन जीतते हैं तो वाइट हाउस को किम जोंग की बहन किम यो जोंग से बात करनी चाहिए। वह समझौते करने में एक्सपर्ट हैं और किम जोंग उन पर काफी भरोसा करते हैं।

सिओल नैशनल यूनिवर्सिटी के प्रफेसर शीन सिओंग हो का कहना है कि बाइडेन के आने से स्थिर और पारंपरिक अमेरिका की नीति आ सकती है। हो सकता है इसके तहत कोरिया के साथ संबंध को जरूरत से ज्यादा महत्व न भी दिया जाए क्योंकि अमेरिका के सामने कोरिया के अलावा दूसरी कई चुनौतियां हैं।

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