बॉर्डर पर एयरबेस के बाद अब नई रेललाइन बिछाने जा रहा चीन, क्या जंग की तैयारी कर रहा ड्रैगन?
लद्दाख में भारत से मात खाया चीन अब चुपके-चुपके जंग की तैयारी कर रहा है। चीनी सेना समझ चुकी है कि लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में उसकी कोई चाल कामयाब नहीं हो सकती है। इसलिए, अब ड्रैगन भारत के नॉर्थ ईस्ट में अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ा रहा है। हाल में ही सैटेलाइट इमेज से खुलासा हुआ था कि भारतीय सीमा से 130 किलोमीटर की दूरी पर चीन एक एयरबेस को अपग्रेड कर रहा है। अब खबर आई है कि चीन अब सिचुआन-तिब्बत रेलवे के यान-लिंझी खंड का निर्माण शुरू करने जा रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर के नजदीक बिछाएगा रेल लाइन
लिंझी को नयींगशी के नाम से भी जाना जाता है। यह अरुणाचल प्रदेश सीमा के नजदीक स्थित है। लिंझी में एक हवाईअड्डा भी है, जो हिमालयी क्षेत्र में चीन द्वारा बनाये गये पांच हवाईअड्डों में शामिल है। चाइना रेलवे ने दो सुरंग और एक पुल के निर्माण कार्य तथा शिचुआन-तिब्बत रेलवे के यान-लिंझी खंड के लिये बिजली आपूर्ति के लिए शनिवार को निविदा के परिणाम घोषित किए। इससे संकेत मिलता है कि परियोजना का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी चीन की यह एयरलाइन
सरकारी चाइना न्यूज की खबर के मुताबिक चिंघाई-तिब्बत रेलवे के बाद, सिचुआन-तिब्बत रेलवे तिब्बत में ऐसी दूसरी परियोजना है। यह चिंघाई-तिब्बत पठार के दक्षिण पूर्व से गुजरेगा, जो विश्व के भूगर्भीय रूप से सर्वाधिक सक्रिय इलाकों में शामिल है। सिचुआन-तिब्बत रेलवे सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदु से शुरू होता है। यह यान से गुजरता हुआ और तिब्बत में प्रवेश करता है तथा चेंगदु से ल्हासा के बीच की यात्रा में लगने वाले 48 घंटे के समय को घटा कर 13 घंटे करता है।
बॉर्डर पर एयरबेस को भी कर रहा अपग्रेड
चीन अरुणाचल बॉर्डर से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चामडो बंगडा एयरबेस का विस्तार कर रह है। यहां पर विमानों के उड़ान भरने के लिए नया रनवे और उनकी मेंटिनेंस के लिए नए एप्रन का निर्माण किया जा रहा है। यह रनवे याकू नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। चामडो बंगडा एयरबेस पर पहले से ही 5500 मीटर का एक रनवे मौजूद था। इसके अलावा चीन जो नया रनवे बना रहा है उसकी लंबाई 4500 मीटर के आसपास है।
कर सकता है सैन्य तैनाती
सैटेलाइट तस्वीर में रनवे के नजदीक मिलिट्री के इस्तेमाल के लिए बनाया गया एप्रन दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि चीन ठंड के दिनों में अपने कुछ ट्रूप्स और हथियारों को इस सीमा पर तैनात करने की प्लानिंग कर रहा है। इस बेस पर यह निर्माण गतिविधियां जून 2020 में शुरू हुईं थीं जो अब तक जारी है।
आसान नहीं है यहां से उड़ान भरना
यह एयरपोर्ट इतनी ऊंचाई पर स्थित है कि यहां से उड़ान भरना सभी विमानों के लिए आसान नहीं होगा। यहां ठंड के दिनों में तापमान शून्य से काफी नीचे रहता है। जबकि, सामान्य दिनों में भी यहां तेज हवा, ऑक्सीजन की कमी और हवा का कम घनत्व विमानों के उड़ने में बाधक बनता है। ठंड के दिनों में तो यहां हवा की स्पीड 30 मीटर प्रति सेकेंड तक चली जाती है।