नेपाल के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन तय! फिर आमने-सामने पीएम ओली और प्रचंड
नेपाल के प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के चेयरमैन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। दहल गुट ने पीएम ओली पर आपसी परामर्श और आम सहमति के बिना एकतरफा फैसले लेने के आरोप लगाए हैं। बताया जा रहा है कि ओली और दहल ने शनिवार को पार्टी की बैठक बुलाई थी इसी दौरान दोनों नेताओं के बीच आपसी तनाव बढ़ गया। इसके बाद दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने गुट की अलग-अलग बैठक बुलाई।
दहल ने नेताओं को पार्टी में विभाजन की जानकारी दी
सत्तारूढ़ के चेयरमैन पुष्प कमल दहल ने रविवार शाम को अपने गुट की बैठक बुलाई। इस दौरान उन्होंने नेताओं को पार्टी में संभावित विभाजन की जानकारी दी है। वहीं, प्रधानमंत्री ओली ने स्पष्ट किया है कि वे पार्टी के सचिवों की बैठक नहीं बुलाएंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि वे दो तिहाई बहुमत से दिए गए किसी भी समिति के निर्णय का पालन भी नहीं करेंगे।
पीएम ओली ने भी दी पार्टी तोड़ने की चेतावनी
पीएम ओली ने चेतावनी दी है कि वे किसी भी साजिश के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को बाध्य होंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर हम एक साथ काम नहीं कर सकते हैं तो हम अलग रास्ता अपनाने के लिए बाध्य हो जाएंगे। इससे नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी में विभाजन की आसार बढ़ने लगे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी का नेपाल के 7 में से 6 प्रांतों में बहुमत है।
कम्युनिस्ट पार्टी के अस्तित्व पर खतरा बढ़ा
रविवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे बिष्णु प्रसाद पौडेल कहा कि उनकी पार्टी अपने अस्तित्व के गंभीर खतरे का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि “इस समय, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (CPN) के एकीकृत और अविभाज्य अस्तित्व के सामने एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। मैं सभी नेताओं, कैडरों और सदस्य साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे पार्टी एकता के संरक्षण के लिए योगदान दें।
किस बात को लेकर बढ़ा तनाव
ओली ने अक्टूबर में बिना प्रचंड की सहमति के अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया था। उन्होंने पार्टी के अंदर और बाहर की कई समितियों में अन्य नेताओं से बातचीत किए बगैर ही कई लोगों को नियुक्त किया है। दोनों नेताओं के बीच मंत्रिमंडल में पदों के अलावा, राजदूतों और विभिन्न संवैधानिक और अन्य पदों पर नियुक्ति को लेकर दोनों गुटों के बीच सहमति नहीं बनी थी।
अपने खास को गृहमंत्री बनाना चाहते थे दहल
पीएम ओली अपने कैबिनेट के कुछ नेताओं का पोर्टफोलियो बदलने के साथ उन्हें फिर से मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन प्रचंड इसके सख्त खिलाफ थे। प्रचंड चाहते थे कि देश के गृहमंत्री का पद जनार्दन शर्मा को दिया जाए। इसके अलावा दहल चाहते हैं कि संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी उनके किसी खास नेता को सौंपा जाए।
शीतकालीन सत्र के बहाने ओली को हटाने की साजिश!
नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने भी संसद के शीतकालीन सत्र को जल्द से जल्द बुलाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे देश में कोरोना वायरस को लेकर पैदा हुई स्थिति पर बहस की जा सकेगी। वहीं, कई लोगों का आरोप है कि इस सत्र को नेपाली कांग्रेस साजिश के तहत बुला रही है। उनका असली मकसद सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बागी नेताओं के साथ मिलकर ओली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करना है। जिससे ओली को सत्ता से बाहर किया जा सके।