कोरोना संकट में अमेरिकी छात्रों के मददगार बने भारतीय शिक्षक, घर बैठे दे रहे ऑनलाइन शिक्षा

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वॉशिंगटन
कोरोना वायरस महामारी के कारण जब अमेरिका में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया तो भारतीय शिक्षक मददगार बनकर उभरे। भारत के शिक्षक ऑनलाइन माध्यमों से अमेरिका ही नहीं, दुनियाभर के कई देशों के बच्चों को घर बैठे शिक्षा दे रहे हैं। उनके इस योगदान में कई इंटरनेशनल एजुकेशन पोर्टल और ऐप प्लेटफार्म मुहैया करा रहे हैं। इस कारण पूरी दुनिया में भारत के शिक्षकों के इस योगदान को सराहा भी जा रहा है।

अमेरिकी अभिभावक भारतीय शिक्षकों से खुश
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के संक्रमण के दौरान अमेरिका के अटलांटा में कई महीनों तक स्कूलों की छुट्टी कर दी गई थी। इस दौरान शेरी अक्रेले ने सातवीं और तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले अपने दो बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम के करवानी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान भी मेरे बच्चों को वन-टू-वन अटेंशन मिला। हालांकि, घर से पढ़ाई करना अधिक मेहनत का काम है। फिर भी यह सस्ती है।

ऑनलाइन एजुकेशन इंडस्ट्री से शिक्षकों के लिए बढ़ रहे अवसर
ऑनलाइन तरीकों से पढ़ने की मांग बढ़ने से भारतीय शिक्षकों के लिए नए द्वार खुल रहे हैं। ये शिक्षक कैलकुलस से लेकर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग तक हर एक विषय अमेरिकी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे अमेरिकी हाई स्कूल के छात्रों को उनके होमवर्क को पूरा करवाने में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा कॉलेज के छात्रों को उनके अर्थशास्त्र और इंजीनियरिंग विषयों को बेहतर ढंग से समझते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी पहल
कोरोना वायरस के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। लेकिन, तेजी से बढ़ते शिक्षा-प्रौद्योगिकी उद्योग ने बड़ी संख्या में शिक्षकों को नौकरियां दी हैं। जिसमें कई भारतीय ऑनलाइन सीखने के साथ-साथ बहुत कुछ कर रहे हैं। तकनीकी के जानकारों को भी इस उद्योग में नौकरियां मिल रही हैं।

विदेशी कंपनियां भी रख रहीं भारतीय शिक्षक
अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में स्थित प्रदान करने वाली कंपनी Chegg ने बताया कि इस साल सितंबर तक उनके छात्रों की संख्या में 69 फीसदी की दर से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वर्तमान में कंपनी के पास 3.7 मिलियन सब्सक्राइबर हैं। कंपनी के अधिक लोकप्रिय सेवाओं में से एक होमवर्क के कठिन प्रश्नों को हल करवाने में मदद करना है। यह कंपनी इस काम के लिए भारत के हजारों शिक्षकों पर निर्भर है। जो भारत से बैठे-बैठे अमेरिकी छात्रों के सवालों का जवाब देते हैं।

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