कहां गए चीनी सेना के 'डिलीवरी ड्रोन'? खच्चरों और गदहों से सैनिकों को पहुंचा रहा साजो सामान
लद्दाख में भारत से तनाव के बीच चीन की सरकारी मीडिया आए दिन ड्रोन से सैनिकों को हथियारों और खाने की डिलीवरी करने के दावे करती थी। इतना ही नहीं, ग्लोबल टाइम्स के संपादक तो इस ड्रोन का वीडियो जारी करते हुए भारतीय जवानों के खाने को लेकर सहानभूति भी जता दी थी। जबकि, वास्तविकता यह है कि चीनी सेना इन दिनों तिब्बत में भारत से लगी सीमा पर गदहों और खच्चरों के जरिए फॉरवर्ड लोकेशन पर सैन्य साजो सामान और रसद की आपूर्ति कर रही है। खुद ग्लोबल टाइम्स ने ही चीनी सेना के ‘मिशन खच्चर’ की रिपोर्ट प्रकाशित की है।
खच्चरों से साजो सामान पहुंचा रही चीनी सेना
ग्लोबल टाइम्स ने रिपोर्ट में लिखा है कि चीनी सेना की तिब्बती मिलिशिया परिवहन इकाइयां सीमा पर अधिक ऊंचाईयों पर स्थित कठिन वातावरण में आपूर्ति करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण के रूप में खच्चरों और घोड़ों का भी उपयोग कर रही है। दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के नगरी प्रान्त के रुतोग काउंटी में तिब्बती मिलिशिया सैनिक की सप्लाई यूनिट चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को साजो सामान पहुंचा रही है।
तिब्बती मिलिशिया सैनिकों को बना रहा बलि का बकरा
चीन तिब्बती मिलिशिया सैनिकों को दोयम दर्जे का समझता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की रुतोग काउंटी पार्टी समिति और सरकार ने चीनी सैनिकों को हर कीमत पर सामान और गोला-बारूद पहुंचाने के आदेश जारी किए हैं। शिनजियांग मिलिट्री कमांड के अंदर काम करने वाले तिब्बती मिलिशिया के सैनिक अपने जान को जोखिम में डालकर दुर्गम इलाकों में चीनी सेना के लिए सामान पहुंचाते हैं। फिर भी इनकों चीन में सेना के बराबर का दर्जा नहीं हासिल है।
प्रोपगेंडा फैलाने में जुटी चीनी मीडिया
प्रोपगेंडा फैलाते हुए चीनी मीडिया सीसीटीवी ने एक कथित तिब्बती मिलिशिया के सैनिक का बयान जारी किया। जिसमें वह चीनी सेना को अपना समर्थन देने की बात कहता सुनाई दे रहा है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि वह तिब्बती मिलिशिया का ही सैनिक था या कोई और। आए दिन चीन की सरकार समर्थित मीडिया झूठे और मॉर्फ्ड वीडियो जारी कर प्रोपगेंडा फैलाने की कोशिश करती रहती हैं।
ड्रोन से न पहुंचाने पर दी सफाई
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि PLA सुदूर क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए रसद सहायता प्रदान करने में ड्रोन जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग कर रहा है। कुछ स्थानों के लिए जहां बड़ी मात्रा में आपूर्ति की आवश्यकता होती है वहां इनकी सहायता के अलावा खच्चरों और घोड़ों जैसे पारंपरिक साधन अधिक व्यावहारिक हैं। हालांकि, चीन ने अभी तक ड्रोन के जरिए सैनिकों को साजोसामान पहुंचाने का कोई वीडियो जारी नहीं किया है।