NASA के स्पेसक्राफ्ट ने ऐस्टरॉइड को 'चूमकर' रचा इतिहास, खुल सकते हैं ब्रह्मांड के राज
अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA (नैशनल ऐरोनॉटिकल ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन) के स्पेसक्राफ्ट ने अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक ‘मुलाकात’ को अंजाम दिया। बड़ी-बड़ी इमारतों के बराबर चट्टानों के बीच से Osiris-Rex स्पेसक्राफ्ट ऐस्टरॉइड Bennu को सफलतापूर्वक छू सका। इसके साथ ही ऐस्टरॉइड से सैंपल लेने वाला अमेरिका जापान के बाद दूसरा देश बन गया। अब अगले हफ्ते इस बात का पता चल सकेगा कि क्या इस टचडाउन के दौरान क्राफ्ट ने बेनू से कितना सैंपल हासिल किया है। इस आधार पर यह तय किया जाएगा कि क्या एक और टचडाउन की जरूरत है।
NASA’s Osiris-rex at Asteroid Bennu: NASA का स्पेसक्राफ्ट Osiris-Rex ऐस्टरॉइड पर टचडाउन में कामयाब रहा। इसने चट्टानों के बीच से सैंपल इकट्ठा करने की कोशिश की। अब यह अगले हफ्ते पता चलेगा कि इसे कितना सैंपल मिला।
अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA (नैशनल ऐरोनॉटिकल ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन) के स्पेसक्राफ्ट ने अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक ‘मुलाकात’ को अंजाम दिया। बड़ी-बड़ी इमारतों के बराबर चट्टानों के बीच से Osiris-Rex स्पेसक्राफ्ट ऐस्टरॉइड Bennu को सफलतापूर्वक छू सका। इसके साथ ही ऐस्टरॉइड से सैंपल लेने वाला अमेरिका जापान के बाद दूसरा देश बन गया। अब अगले हफ्ते इस बात का पता चल सकेगा कि क्या इस टचडाउन के दौरान क्राफ्ट ने बेनू से कितना सैंपल हासिल किया है। इस आधार पर यह तय किया जाएगा कि क्या एक और टचडाउन की जरूरत है।
Bennu पर टचडाउन
यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना की लीड साइंटिस्ट डान्टे लॉरेटा ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि इस मिशन को पूरा कर लिया गया है। स्पेसक्राफ्ट ने हर वह चीज की जो उसे करनी थी। Osiris-Rex ने Bennu पर टचडाउन की पुष्टि 20 करोड़ मील दूर से की जिसके बाद मिशन टीम खुशी से उछल पड़ी। Osiris-Rex सैंपल के साथ साल 2023 में लौटेगा। Osiris-Rex को पहले ही ग्राउंड कंट्रोल ने कमांड दे दी थीं। इससे उसने करीब 4.5 घंटे में अपनी कक्षा से Bennu की सतह पर पहुंचा। उसके रुकने के लिए 510 मीटर के Bennu में पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण नहीं है। इसलिए उसने पूरी तरह लैंड होने की जगह 3.4 मीटर की रोबॉट आर्म को सतह पर पहुंचाया और कम से कम 60 ग्राम सैंपल इकट्ठा करने की कोशिश की।
दो साल से काट रहा है चक्कर
OSIRIS-REx दो साल से Bennu के चक्कर काट रहा है और स्पेस रॉक्स के मूवमेंट को ऑब्जर्व कर रहा है। ह Nightingale नाम के क्रेटर पर स्पाइरल करते हुए उतरा जहां इसके उतरने के लिए सिर्फ 8 मीटर चौड़ा एक क्षेत्र था। Nightingale क्रेटर भी सैंपल के लिहाज से बेहद अहम है। यहां महीने धूल, कंकड़-पत्थर हैं जो ज्यादा वक्त के लिए आसपास के पर्यावरण के संपर्क में नहीं आए हैं।
ऐसे इकट्ठा किया सैंपल
पहले से तय कमांड के मुताबिक कुछ सेकंड में Osiris की आर्म के छूने से क्रेटर की धूल नाइट्रोजन गैस के ब्लास्ट से उड़ेगी और सैंपलिंग हेड में इकट्ठा हो जाएगी। वैज्ञानिकों को कम से कम 60 ग्राम सैंपल चाहिए। अगर यहां इतनी धूल नहीं मिली तो 30 अक्टूबर को फैसला किया जाएगा कि आगे क्या करना है। दूसरी कोशिश बैकअप साइट Osprey पर जनवरी 2021 के बाद ही की जा सकेगी।
कैसे आया धरती पर जीवन?
इसके लाए सैंपल की मदद से वैज्ञानिक सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में स्टडी करेंगे। धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इसके रहस्य भी ये सैंपल खोल सकते हैं। दरअसल, कई रिसर्चर्स का मानना है कि धरती से ऐस्टरॉइड्स की टक्कर की वजह से ही यहां जीवन पैदा हुआ था। NASA के अधिकारी ऐस्टरॉइड्स को ‘टाइम कैप्सूल’ कहते हैं क्योंकि वह ग्रहों के साथ ही बचे हुए मटीरियल से बने थे।