सऊदी को मनाने के लिए सेना का लालच दे रहा पाकिस्तान, कुरैशी बोले- जारी रखेंगे सैन्य समर्थन
सरकार अपने सबसे बड़े फाइनेंसर को मनाने के लिए दिन-रात एक किए हुए है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयानबाजी से दोनों देशों में आई तल्खी को कम करने का जिम्मा भी उन्हें ही सौंपा गया है। महीनों तक अनुरोध करने के बाद कुरैशी से सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने टेलीफोन पर कुछ मिनट ही बात की।
सऊदी को मनाने में जुटे पाक विदेश मंत्री
जिसके बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने लंबा चौड़ा बयान जारी किया। जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय संबंध प्रकृति में गहरे और ऐतिहासिक हैं। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं के बीट द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्र में स्थिति और आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की गई। शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि दोनों देशों ने विपरीत परिस्थितियों के दौरान हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया।
सऊदी को सैन्य सहायता की पेशकश की
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए किसी भी खतरे के खिलाफ सऊदी अरब को पाकिस्तान के समर्थन को दोहराया। उन्होंने यमन के हूती विद्रोहियों के ताजा हमलों की निंदा भी की। उन्होने कहा कि हम अपनी अखंडता की रक्षा के लिए सऊदी अरब के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। पवित्र स्थलों का संरक्षण हमारे विश्वास का अभिन्न अंग हैं।
पाकिस्तान से कर्ज चुकाने को कह रहा सऊदी
बताया जा रहा है कि सऊदी अरब पाकिस्तान से 3 अरब डॉलर के कर्ज को वापस मांग रहा है। आलम यह रहा कि जनरल बाजवा ने सऊदी अरब से रिश्तों में आए टकराव को दूर करने के लिए सैन्य मदद को बढ़ाने का ऑफर दिया लेकिन सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें बिना मिले ही लौटा दिया। वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने दावा किया कि सऊदी अरब के साथ उनके संबंध पहले जैसे ही मजबूत हैं।
सऊदी ने पाकिस्तान से वापस लिया वित्तीय समर्थन
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के हालिया बर्ताव के कारण सऊदी ने अपने वित्तीय समर्थन को वापस भी ले लिया है। अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3 साल के लिए 6.2 बिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज देने का ऐलान किया था। इसमें 3 बिलियन डॉलर की नकद सहायता शामिल थी, जबकि बाकी के पैसों के एवज में पाकिस्तान को तेल और गैस की सप्लाई की जानी थी।
रकम पर 3.3 फीसदी का ब्याज दे रहा पाक
इस समझौते के अनुसार, शुरुआत में सऊदी ने पाकिस्तान को नकदी और तेल की सुविधा केवल एक साल के लिए दिया था, लेकिन बाद के वर्षों में इसे बढ़ाकर तीन साल के लिए कर दिया गया। इस 3 बिलियन डॉलर की नकद सहायता के लिए पाकिस्तान 3.3 फीसदी की दर से ब्याज की अदायगी भी कर रहा था।