किम जोंग उन ने बनाई खतरनाक 'अटैक' पनडुब्बी, क्या खतरे में अमेरिकी नेवल बेस?
तानाशाह के निर्देश पर के वैज्ञानिकों ने पारंपरिक रूप से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी को विकसित किया है। इस पनडुब्बी को रोमियो मॉड क्लास के नाम से जाना जाता है। उत्तर कोरिया में इसे सिनपो क्लास की पनडुब्बी भी कहते हैं। किम जोंग के कहने पर इसे 23 जुलाई 2019 को पहली बार कोरियाई टेलिविजन पर दिखाया गया था। इस पनडुब्बी में पुकगुकसॉन्ग -3 मिसाइलें तैनात हैं जो आसपास मौजूद अमेरिकी सेना के लिए खतरे की चेतावनी है।
कितनी खतरनाक है यह मिसाइल
केएन -26 पुकगुकसॉन्ग -3 मिसाइल उत्तर कोरिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में गिनी जाती है। आज से ठीक एक साल पहले 2 अक्टूबर 2019 को इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। जिसमें इस मिसाइल ने 450 किलोमीटर दूर स्थित अपने लक्ष्य को सटीकता दे नष्ट कर दिया था।
इसलिए अमेरिका को है खतरा
मिसाइलों की दूरी के मामले में तो इसे खास नहीं माना जाता है लेकिन, इस दौरान इस मिसाइल ने 910 किलोमीटर की ऊंचाई पाई थी। कोई भी मिसाइल अगर इतनी ऊंचाई से किसी टॉरगेट पर गिरे तो उसे ट्रैक करना और रोकना लगभग नामुमकिन होता है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अगर यह मिसाइल इतनी ऊपर तक जा सकती है तो निश्चित रूप से इसका रेंज 1900 किलोमीटर तक हो सकता है।
अमेरिका के इस मिसाइल के बराबर है कोरियाई पुकगुकसॉन्ग -3
केएन -26 पुकगुकसॉन्ग -3 मिसाइल को अमेरिका के पोलारिस -3 मिसाइल के बराबर माना जाता है। ये दोनों मिसाइलें अपने अपने देश की सुपर अटैकर मानी जाती हैं। इसे कनवेंशनल पनडुब्बी से लॉन्च करना भी चुनौतीपूर्ण काम है। लेकिन उत्तर कोरिया के वैज्ञानिकों ने इस पनडुब्बी को तैयार कर अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों को आईना दिखा दिया है।
उत्तर कोरिया के पास कितनी पनडुब्बी
उत्तर कोरिया की नौसेना में वर्तमान में केवल इसी क्लास की पनडुब्बियां कार्यरत हैं। अभी तक यह निश्चित नहीं है कि उत्तर कोरिया इस श्रेणी की कितनी पनडुब्बियों को ऑपरेट करता है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, उसके पास इस क्लास की कम से कम 20 पनडुब्बियां तो जरूर हैं। इनको मूल रूप से रूसी डिजाइन पर बनाया गया है। जिनमें से कुछ को चीन और कुछ का उत्तर कोरिया में ही निर्माण किया गया है।