शिक्षा में तकनीकी के प्रयोग से बच्चोँ में सीखने के नए अवसर उपलब्ध होंगे
रायपुर : मंजिलें क्या हैं,रास्ते क्या हैं। अगर हौसला हो तो ये फासले क्या हैं। एक अच्छा शिक्षक पढ़ाता है, एक श्रेष्ठ शिक्षक व्याख्या करता है और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक प्रेरित करता है। शिक्षा में तकनीकी के प्रयोग से बच्चों में सीखने के नए अवसर उपलब्ध होंगे साथ ही मल्टी-टास्किंग पीढ़ी का निर्माण होगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एन. आई. सी.) छत्तीसगढ़ राज्य के सीनियर टेक्निकल डायरेक्टर श्री ए.के.सोमशेखर ने इस आशय के विचार राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में पढ़ई तुहंर दुआर के तहत ‘तकनीकी किस प्रकार हमारे भविष्य को बदल रहा है’ विषय पर आयोजित वेबिनार में व्यक्त किए।
श्री सोमशेखर ने कहा कि भविष्य में खुद को स्थापित करने के लिए बहुत सी बातें सीखना जरुरी है और सीखने के लिए प्रेरणा केवल मानव ही दे सकता है। उन्होंने उदीयमान तकनीक और उसके प्रभाव पर बात करते हुए, तकनीकी प्रयोग के लिए जरूरी अभी के ऑथेन्टकैशन और भावी ऑथेन्टकैशन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने तकनीकी प्रयोग के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य के परिदृश्य पर विस्तार से जानकारी देते हुए बिगडाटा, डाटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निग के बारे में उदाहरण देते हुए समझाया। श्री सोमशेखर ने आगे बताया कि किस प्रकार वर्चुअल रियालिटी और आँगमेंटेंड रियालिटी आने वाले समय में हमारे जीवन के लिए उपयोगी साबित होने वाला है, जब स्वास्थ्य सेवा में रोगों के पूर्वानुमान, निदान में मशीन की भूमिका 90 प्रतिशत तक हो सकती है और नैनो कण रोग की पहचान और उपचार में सहायक सिद्ध होगें।
श्री सोमशेखर ने भविष्य की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट किया जैसे- कौशलों में पारंगत होना, अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में ज्ञान का विस्तार, सृजनात्मक कौशल से युक्त होना, टीम वर्क की कुशलता और स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता पर बल देते हुए विद्यार्थियों, शिक्षक और समाज के सुखद भविष्य की सुभकामनाएँ दी। कार्यक्रम का संचालन राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सहायक प्राध्यापक श्री सुशील राठौर ने किया। उन्होंने पढ़ई तुहंर दुआर के माध्यम से आँनलाइन कक्षाओं में शामिल शिक्षकों और बच्चों की संक्षिप्त जानकारी दी।