गिलगित-बल्टिस्तान पर जनरल बाजवा को मरयम नवाज की खरी-खरी, 'सेना मुख्यालय नहीं, संसद में होगा फैसला'
भारत के सामने कड़ा रुख अपनाने की कोशिश में पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को अलग प्रांत बनाने का ऐलान तो कर डाला, लेकिन उसके अपने ही घर में इस पर विरोध शुरू हो चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PMLN) की उपाध्यक्ष मरयम नवाज ने कहा है कि यह एक सरकारी मुद्दा है और इस पर फैसला संसद में होगा, न कि सेना मुख्यालय।
‘न बुलाए सेना, न नेता जाएं’
दरअसल, कुछ दिन पहले ऐसी खबरें थीं कि पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने इस मुद्दे पर रावलपिंडी में देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को बुलाया था। मरयम ने अपनी पार्टी के किसी नेता के इस बैठक में शामिल होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि यह राजनीतिक मुद्दा है और इसे संसद में सुलझाना चाहिए, न कि सेना के मुख्यालय में। मरयम ने कहा है कि मुख्यालय को राजनीतिक नेताओं को ऐसे मुद्दों पर नहीं बुलाना चाहिए और न ही नेताओं को वहां जाना चाहिए।
बिलावल और बाजवा में बहस
जानकारी के मुताबिक इस बैठक में आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी समेत पाकिस्तानी सियासत के कई दिग्गज नेता शामिल हुए थे। इस दौरान बाजवा ने गिलगित को प्रांत बनाए जाने के मुद्दे पर चर्चा की लेकिन उसी दौरान उनकी बिलावल और शाहबाज शरीफ से बहस हो गई। बिलावल ने राजनीतिक मामले में सेना के हस्तक्षेप का मुद्दा उठा दिया और कहा कि इसी तरह के हालात वर्ष 1971 में थे और उस समय भी सेना राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही थी। इस पर बाजवा ने कह दिया- ‘सेना से मिलने के लिए आप जैसे नेता ही आते हैं। हम आपके पास नहीं आते हैं।’
भारत ने किया था विरोध
भारत ने मई में पाकिस्तान को दो-टूक कहा था कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में गिलगित-बल्टिस्तान समेत पूरा इलाका पाकिस्तान या उसकी न्यायपालिका के पास ऐसे क्षेत्रों में अधिकार नहीं हैं जो उसने जबरन अवैध तरीके से कब्जाए हैं। भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कोई बदलाव करने की कोशिश नहीं करने की चेतावनी दी थी और कहा था कि अवैध कब्जा फौरन छोड़ दे। भारत ने इन इलाकों में चुनाव नहीं कराने की चेतावनी भी दी थी।