पोप फ्रांसिस का अजीब दावा, भोजन और सेक्स को बताया 'दिव्य आनंद'
ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु ने अजीबोगरीब दावे करते हुए भोजन और सेक्स को दिव्य आनंद बताया। उन्होंने कहा कि आनंद सीधा ईश्वर से प्राप्त होता है। यह न तो कैथोलिक है, न ही ईसाई है, न ही कुछ और, यह केवल दिव्य है। उन्होंने यह सब इटली के पत्रकार और फूड क्रिटिक की किताब या फ्यूचर अर्थ के लिए इंटरव्यू देते हुए कहा।
पोप बोले- लोगों ने चर्च के संदेश की गलत व्याख्या की
पोप ने इस किताब के Dialogues with on Integral Ecology वाले चेप्टर में कहा है कि चर्च ने हमेशा से अमानवीय, क्रूर, अशिष्ट आनंद की निंदा की है। वहीं, दूसरी ओर हमेशा मानवीय, सरल, नैतिक सुख को स्वीकार किया है। उन्होंने भोजन और सेक्स पर चर्च के पहले के विचारों को अत्याधिक नैतिकता वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह ईसाई संदेश की गलत व्याख्या है।
सेक्स को लेकर पहले के विचारों को बताया नुकसानदेह
पोप फ्रांसिस ने कहा कि खाने का आनंद आपको स्वस्थ रखने के लिए है। ठीक उसी तरह जैसे कि यौन सुख प्यार को और अधिक सुंदर बनाने और मानव जीवन के स्थायित्व की गारंटी है। अतीत में जिन विचारों ने सेक्स और आनंद की निंदा की है उसने बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने यह भी कहा कि इसे आज भी दृढ़ता से महसूस किया जा सकता है।
उदारवादी हैं पोप फ्रांसिस
अगस्त शुरुआत में ही पोप फ्रांसिस ने पहली बार वेटिकन के कैथोलिक चर्च के शीर्ष पदों पर पहली बार 6 महिलाओं को नियुक्त किया था। बतक वेटिकन के 15 सदस्यों वाले काउंसिल ऑफ इकोनॉमी में सभी पुरुष ही शामिल थे। वेटिकन के कानून के अनुसार, इस काउंसिल में 8 बिशप शामिल होते हैं जो पुरुष होते हैं। शेष बचे सात सदस्यों में अबतक पुरुष ही बहुसंख्यक रहे हैं।
पहली बार 6 महिलाओं को मिली जगह
महिलाओं को शीर्ष पदों पर रखने के अपने वादे को पूरा करने के लिए फ्रांसिस द्वारा ये नियुक्तियां सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं। वेटिकन के इतिहास में इस महत्वपूर्ण समूह में इतनी बड़ी संख्या में आज से पहले कभी भी महिलाओं को जगह नहीं दी गई थी। ये छह महिलाएं एक ऐसे समूह का हिस्सा हैं जो अनिवार्य रूप से वेटिकन की सभी वित्तीय गतिविधियों की देखरेख करती हैं।