अपनों को दगा देकर प्रचंड-ओली ने मिलाया हाथ, क्यों दोस्ती के भविष्य पर उठ रहे सवाल
नेपाल में प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल के बीच आखिरकार समझौता हो गया है। लगभग दो महीने पहले से जारी इस विवाद को पार्टी की स्पेशल टीम ने अधिकारों का बंटवारा कर खत्म कराया। बड़ी बात यह है कि ओली के साथ हुए इस समझौते में प्रचंड ने उन नेताओं की बलि चढ़ा दी जो मुसीबत के समय उनके साथ खड़े थे। इसी के बाद अब यह कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या प्रचंड और ओली की दोस्ती ज्यादा दिनों तक टिकी रहेगी?
इन नेताओं को प्रचंड ने दिया धोखा!
बताया जा रहा है कि पीएम ओली के साथ दोस्ती को लेकर प्रचंड ने और को दगा दिया है। ये दोनों नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं में शामिल हैं जो पूरे समय ओली के खिलाफ प्रचंड के साथ देते रहे। लेकिन, जब प्रचंड को पार्टी पर पूरा अधिकार मिला तब उन्होंने इन नेताओं के साथ कोई राय मशविरा नहीं किया।
नेपाल बोले- हम इंतजार करेंगे…
24 जून को जब इस मामले की शुरुआत हुई थी तब प्रचंड के साथ नेपाल और खनल ने ही ओली के इस्तीफे की मांग शुरू की थी। माधव कुमार नेपाल ने मांग करते हुए कहा है कि एक नेता, एक प्रमुख जिम्मेदारी को फिर से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि वे इंतजार करेंगे और देखेंगे कि ओली पार्टी के फैसलों का पालन करते हैं या नहीं।
पार्टी से सभी शीर्ष नेताओं ने की समझौते की आलोचना
पार्टी के स्थायी समिति के सदस्य लीलामणि पोखरेल ने भी इस समझौते पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी के दो सबसे वरिष्ठ नेताओं के बीच शांति समझौता कितने दिनों तक चलता है। शुक्रवार को इस समझौते के दौरान जिन 13 नेताओं ने सभा को संबोधित किया उन सभी ने इस प्रस्ताव का आलोचना के साथ स्वागत किया है। उनका आरोप है कि इसमें कई मुद्दों को ठीक से संबोधित नहीं किया गया है।
खनल बोले- यह प्रस्ताव संघर्ष को रोकने में विफल
खनल के हवाले से एक नेता ने कहा कि यह प्रस्ताव पार्टी के चल रहे राजनीतिक और वैचारिक संघर्षों को प्रतिबिंबित करने और परिभाषित करने में विफल रहा है। लेकिन, इससे हम उग्र दुश्मनी को रोकने में कामयाब रहे। यह दो कुर्सियों के बीच लड़ाई के रूप में देखा गया था। लेकिन बात वो नहीं थी। यह हमारे समाज के वर्ग संघर्ष को भी दर्शाता है।
प्रचंड को पार्टी तो ओली को सत्ता पर पूरा अधिकार
जिन बातों पर सहमति बनी है उसमें प्रचंड पूरे अधिकारों के साथ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रहेंगे तथा पार्टी मामलों को देखेंगे, वहीं ओली सरकार के मामलों पर ध्यान देंगे। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पार्टी अपने दिशा निर्देशों के आधार पर चलेगी। हालांकि सरकार को राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर फैसला लेते समय पार्टी के भीतर परामर्श करने की जरूरत होगी। पार्टी भी सरकार के रोजाना के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।