लद्दाख तनाव: खाना ले जाने वाली 'ड्रोन आर्मी' में छिपा है चीन का 'हथियार'?
चीन का नेतृत्व भले ही शांति की दुहाई देता हो, चीनी मीडिया और PLA (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) चेतावनी और धमकी भरे लहजे से पीछे नहीं हटता है। भारतीय सेना को लेकर आक्रामक बयानबाजी करते रहने वाले चीन के ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने एक और वीडियो ट्वीट किया है जिसके बाद लोगों ने उन्हें जवाब दे डाला है। शिजिन ने चीनी सैनिकों का खाना ले जाने वाले ड्रोन का वीडियो शेयर किया है जिस पर लोगों ने उन्हें भारतीय सेना की काबिलियत भी याद दिलाई है। हालांकि, इस वीडियो के साथ सीमा सुरक्षा से जुड़े एक अहम पहलू की ओर ध्यान भी गया है।
शिजन ने ट्वीट किया वीडियो
शिजिन ने ट्वीट किया है, ‘इन ड्रोन की मदद से PLA के फ्रंटलाइन सैनिक सर्दी के मौसम में पठारी पर भी गरम खाना खा सकेंगे। भारतीय सैनिकों के साथ कुछ लोगों की सहानुभूति है जिन्हें सिर्फ कैन में बंद ठंडा खाना पड़ता है और सर्दी का सामना करना पड़ता और कोविड-19 का भी।’ इस पर लोगों ने उन्हें याद दिलाया कि भारतीय सेना को पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में युद्ध करने में महारत हासिल है और उसे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
खतरनाक हो सकते हैं ये ड्रोन
इस बीच ओपन इंटेलिजेंस सोर्स detresfa ने ध्यान दिलाया है कि जिन ड्रोन का वीडियो शिजिन ने शेयर किया है, उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। वे खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। इन पर खाने की जगह अगर कुछ और (जैसे विस्फोटक) लोड कर दिए जाएं तो ड्रोन के स्वॉर्म (Swarm) से पूरे इलाके को खाली कराया जा सकता है। ये ड्रोन ऊंचाई में भी टेक-ऑफ और लैंड कर सकते हैं। इन्हें इंसान कंट्रोल कर सकते हैं और ऑटोनॉमस तरीके से भी चलाया जा सकता है। स्वॉर्म का इस्तेमाल सारे ड्रोन्स को एक ही काम पर लगाने के लिए किया जाता है। ये एक-दूसरे के साथ समन्वय में काम करते हैं। हालांकि, जिन ड्रोन का इस्तेमाल खाना ले जाने के लिए किया जा रहा है उनकी क्षमता विस्फोटक के लायक नहीं है। इन्हें जैम भी किया जा सकता है।
पहले भी किया था ऐसा ट्वीट
इससे पहले शिजिन ने एक और ट्वीट किया था और कहा था कि अगर भारतीय सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिण तट से नहीं हटते हैं तो चीनी सेना पूरे ठंड के मौसम तक उनके साथ मुकाबला करती रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सैनिकों का संचालन तंत्र बहुत खराब है। कई भारतीय सैनिक या तो ठंड से मर जाएंगे या फिर से कोरोना वायरस से। इस पर भी लोगों ने उन्हें याद दिलाया था कि भारतीय सैनिक दुनिया के सबसे ठंडे और ऊंचे युद्धक्षेत्र में 24 घंटे और सातों दिन डटे रहते हैं।