हिंदुओं पर अत्याचार, नेपाल में पाकिस्तान का जबरदस्त विरोध

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भारत को घेरने के लिए नेपाल को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को तगड़ा झटका लगा है। नेपाल के लोगों ने पाकिस्तान में हिंदुओं और बौद्धों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों के हाथ में तख्तियां भी थीं। जिसपर पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज पर हो रहे हमलों को लेकर इमरान खान सरकार की निंदा की गई थी।

नेपाली संगठन राष्ट्रीय एकता अभियान के नेतृत्व में सैकड़ों लोग पाकिस्तानी दूतावास के सामने एकत्रित हुए। इन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं, उनके मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। इन लोगों ने हाल में ही पाकिस्तान में ऐतिहासिक बौद्ध प्रतिमा तोड़ने का भी विरोध किया।

पाकिस्तानी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को नेपाली पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने उनके झंडे और बैनर-पोस्टर्स को जब्त कर बसों में बैठाकर वापस भेज दिया। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नेपाली पुलिस ने पाकिस्तानी दूतावास के आदेश पर कार्रवाई करते हुए हमें पीछे ढकेल दिया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए निया भर के हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान किया।

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर का काम पाकिस्तान ने कट्टरपंथियों के दबाव में आते हुए रोक दिया था। इतना ही नहीं, इस मंदिर के निर्माण के लिए बनाई गई नींव को भी तोड़ दिया गया और वहां जबरन नमाज पढ़ी गई थी। वहीं, जनवरी में सिंध के थारपारकर इलाके में स्थित एक दुर्गा मंदिर में भी कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी।

मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया। दरअसल पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है।

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