बेंगलुरु हिंसा: पाक का विरोध, BJP पर निशाना

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इस्लामाबाद
ईशनिंदा पर लोगों को सलाखों में जकड़ने और फांसी देने वाले पाकिस्तान ने पर भारत को नसीहत दी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने भारत के साथ इस मुद्दे पर अपना आधिकारिक विरोध दर्ज करवाया है। पाकिस्तान ने इस हिंसा को लेकर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ पर भी निशााना साधा है।

भाजपा-आरएसएस पर कट्टर हिंदुत्व विचारधारा फैलाने का आरोप
पाकिस्तानी विदेश विभाग ने ट्वीट कर कहा कि कर्नाटक के बेंगलुरु में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर भारत के साथ पाकिस्तान ने कड़े शब्दों में निंदा और विरोध दर्ज कराया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने भाजपा और आरएसएस के खिलाफ भी जहर उगला। पाकिस्तान ने कहा कि भारत में धार्मिक घृणा अपराध की बढ़ती घटनाएं आरएसएस-बीजेपी गठबंधन की एक्सट्रीम हिंदुत्व की विचारधारा का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

अपने देश में अल्पसंख्यकों की हालत भूला पाक
दूसरों को ज्ञान देते समय पाकिस्तान यह भूल गया कि उसके देश में अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन और सिखों के साथ कैसा सलूक किया जाता है। आजादी के बाद से भारत में जहां अल्पसंख्यकों की आबादी तेजी से बढ़ी है वहीं पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अब खत्म होने के कगार पर आ गए हैं। उनके साथ न केवल धार्मिक भेदभाव किया जाता है जबकि कई बार तो उन्हें ईशनिंदा के झूठे केस में भी फंसा दिया जाता है। आसिया बीबी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को पीड़ित करने का हथियार ‘ईशनिंदा’
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया। दरअसल पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है।

पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन
मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है।

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