रूसी वैक्सीन: 20 देशों से 1 अरब डोज का ऑर्डर
रूस के राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि उनके देश ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को बना लिया है। उन्होंने कहा कि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कोरोना वायरस वैक्सीन को अपनी मंजूरी दे दी है। पुतिन के इस ऐलान के बाद से ही दुनियाभर के देशों में रूसी वैक्सीन की मांग तेज हो गई है।
20 देशों से 1 अरब डोज का ऑर्डर
रूसी कोरोना वैक्सीन परियोजना के लिए फंड मुहैया कराने वाली संस्था रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिज ने कहा कि इस वैक्सीन के लिए 20 देशों से एक अरब डोज बनाने का ऑर्डर मिला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर से इस वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन शुरू होने की संभावना है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि किन देशों ने इस वैक्सीन के लिए ऑर्डर दिए हैं।
बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारी
सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में पुतिन ने कहा कि कोराना वायरस की यह वैक्सीन प्रभावी रूप से काम कर रही है और इससे स्थिर प्रतिरक्षा (Stable Immunity) का निर्माण हो रहा है। पुतिन ने यह भी कहा कि मुझे आशा है कि हम निकट भविष्य में इस दवा का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने में सक्षम होंगे, जो बहुत महत्वपूर्ण है।
पुतिन की एक बेटी को भी लगी वैक्सीन
पुतिन ने कहा कि इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान उनकी एक बेटी ने भी हिस्सा लिया। पहले चरण के वैक्सीनेशन के बाद उसके शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था, जबकि अगले दिन यह 37 डिग्री सेल्सियस हो गया था। वैक्सीन ने दूसरे चरण के बाद उसके शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ा लेकिन बाद मे सब ठीक हो गया। वह अब अच्छा महसूस कर रही है।
रूस में वैक्सीन का विरोध भी
मल्टीनैशनल फार्मा कंपनीज की एक लोकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि क्लिनिकल ट्रायल पूरा किए बिना वैक्सीन के सिविल यूज की इजाजत देना खतरनाक कदम साबित हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को डोज दी गई है, ऐसे में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।
20 साल की मेहनत का नतीजा
सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में टॉप साइंटिस्ट वादिम तारासॉव ने दावा किया है कि देश 20 साल से इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और काबिलियत को तेज करने के काम में लगा हुआ है। इस बात पर लंबे वक्त से रिसर्च की जा रही है कि वायरस कैसे फैलते हैं। इन्हीं दो दशकों की मेहनत का नतीजा है कि देश को शुरुआत शून्य से नहीं करनी पड़ी और उन्हें वैक्सीन बनाने में एक कदम आगे आकर काम शुरू करने का मौका मिला। इस वैक्सीन को रूस रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर रिसर्च ने तैयार किया है।