कश्मीर: सऊदी पर पाक विदेश मंत्री की फजीहत
कश्मीर को लेकर सऊदी अरब को धमकी देना पाकिस्तानी विदेश मंत्री को भारी पड़ रहा है। सऊदी में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी कुरैशी के बयान की सार्वजनिक निंदा की जा रही है। नौबत यहां तक आ गई है कि कुरैशी को मीडिया से भागना पड़ रहा है। उधर सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ 6.2 बिलियन डॉलर की फाइनेंशियल डील को रद्द कर दिया है और उधार तेल-गैस देने पर रोक लगा दी है।
सऊदी को क्या कहा था कुरैशी ने
कुरैशी ने कहा था कि सऊदी OIC को (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ खड़ा नहीं होने दे रहा है। कुरैशी ने कहा था कि ओआईसी कश्मीर पर अपने विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में हीलाहवाली बंद करे। पाकिस्तान कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद से ही 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने के लिए लगातार सऊदी अरब पर दबाव डाल रहा है। एक अन्य सवाल के जवाब में कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता है।
कुरैशी ने की कश्मीर मामले पर सऊदी से नेतृत्व की मांग
कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने सऊदी अरब के अनुरोध पर खुद को कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन से अलग कर लिया था और अब पाकिस्तानी यह मांग कर रहे हैं कि सऊदी अरब कश्मीर के मुद्दे पर नेतृत्व दिखाए। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक होती है तो इससे कश्मीर पर भारत को इस्लामिक देशों की ओर से स्पष्ट संदेश जाएगा।
कुरैशी ने क्यों दिया ऐसा बयान
माना जा रहा है कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलने से कुंठित कुरैशी ने यह बयान दिया था। यह भी कहा जा रहा है कि देश में कड़ी पकड़ रखने वाली सेना के कहने पर उन्हें यह बयान दिया, खासकर इसलिए ताकि सऊदी के रुख को भांपा जा सके। इसके अलावा इस्लामाबाद में यह खबरें भी हैं कि वह खुद को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बराबर का दिखाना चाहते हैं।
क्या सऊदी को मना पाएगा पाक?
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान अब उच्च-स्तरीय डेलिगेशन को रियाद भेजेगा। अगर सऊदी ने पाकिस्तानी वर्कर्स को देश वापस भेजने का फैसला कर लिया तो पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हो सकता है। पाकिस्तान तुर्की, ईरान, कतर और मलेशिया के साथ मिलकर सऊदी की जगह दूसरा इस्लामिक हब बनाना चाहता था जो रियाद ने होने नहीं दिया। वहीं, मलेशिया में मताहिर मोहम्मद के बाहर होने के बाद पूरा प्लान ठंडा पड़ गया। यहां तक कि उसने ग्वादर पोर्ट पर निर्माण का प्लान भी छोड़ दिया।