कोरोना वैक्सीन और इलाज, एक तीर- दो निशाने

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वॉशिंगटन
एक ओर जहां दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस इन्फेक्शन से शरीर को बचाने के लिए वैक्सीनें विकसित करने में जुटे हैं, वहीं एक ‘नई जनरेशन के इलाज’ की खोज का दावा भी किया गया है। यह लोगों को इन्फेक्शन की चपेट में आकर बीमार पड़ने से भी बचाएगा और उनकी जान की सुरक्षा भी करेगा। अगर इंसानों पर इस थेरेपी के नतीजे सफल होते हैं तो अगल साल की शुरुआत में इसे तैयार किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से लोगों को बिना सोशल डिस्टेंसिंग के घूमने की आजादी मिल सकती है।

ऐसे होगा ‘इलाज’
इस Sars-Block (सार्स ब्लॉक) थेरेपी को अमेरिका में विकसित किया जा रहा है और ब्रिटेन के निवेशक इसे फंड दे रहे हैं। इसे कोरोना वायरस पर आधारित सिंथेटिक प्रोटीन सीक्वेंस से बनाया गया है। यह एक कॉर्क की तरह काम करता है और वायरस को शरीर के वायरस रिसेप्टर सेल्स (ACE-2 रिसेप्टर) में दाखिल होने से रोकता है। ये इलाज न सिर्फ वायरस की शरीर में एंट्री को रोकेगा बल्कि उसे पहचान कर शरीर के इम्यून सिस्टम को उससे लड़ने के लिए तैयार भी करेगा।

95-100% तक कारगर
इसे यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक्सपर्ट्स स्टडी कर रहे हैं और लैब स्टडी के नतीजे शुक्रवार को प्रीप्रिंट जर्नल BioArchive में छपे थे। अभी तक यह पाता गया है कि यह 95-100% तक वायरस को शरीर में दाखिल होने से रोक सकती है। इसके साथ ही ऐसी वैक्सीनों की जरूरत भी खत्म हो जाएगी जिनके बार-बार इन्जेक्शन की जरूरत हो और जो सिर्फ कोविड-19 की गंभीरता को खत्म कर सकती हों।

रूस की वैक्सीन तैयार
दुनिया को कोरोना वायरस की पहली वैक्‍सीन 12 अगस्‍त को मिलने जा रही है। रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कन्‍फर्म कर दिया है कि वे इसी हफ्ते वैक्‍सीन को रजिस्‍टर करेंगे। लेकिन कई एक्‍सपर्ट्स ने इस पर सवाल उठाए हैं। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि उन्‍हें रूसी वैक्‍सीन से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी या डेटा मुहैया नहीं कराया गया है।

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