इंडोनेशिया: फूटा ज्वालामुखी, राख से दिन में हुई रात
सुमात्रा टापू पर 2010 से धधक रहा ज्वालामुखी सोमवार को एक बार फिर फूट पड़ा है। इंडोनेशिया के 120 सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक सिनाबुंग ‘रिंग ऑफ फायर’ में आता है। करीब एक साल तक शांत रहने के बाद जब यह ज्वालामुखी फूटा तो इतनी राख निकली कि आसमान में दो किलोमीटर ऊंचा धुएं का विशाल पहाड़ बन गया। यही नहीं, इससे निकली राख 30 किलोमीटर दूर स्थित बेरास्तगी तक पहुंच गई और इस इलाके से गुजरने वाले यात्री विमानों के लिए अलर्ट जारी करना पड़ा। (AP Photo/Sugeng Nuryono)
एक गांव के मुखिया रेनकाना सितेपू ने बताया कि जब राख निकली तो जैसे जादू की तरह सब दिन से रात जितना अंधेरा हो गया। करीब 20 मिनट तक यह अंधेरा छाया रहा। ज्वालामुखी के आसपास के इलाके में पहले ही जाने की मनाही थी इसलिए वहां कोई रहता नहीं है। चिंता की बात यह रही कि अचानक हुई इस घटना से लोग बिना मास्क और दूरी बनाए ही, इकट्ठा होने लगे और खेतों से राख हटाने के लिए भागने लगे। (AP Photo/Sugeng Nuryono)
ज्वालामुखी में विस्फोट की वजह से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है लेकिन राख के गुबार से फसलें नष्ट हो रही हैं। नमन तेरान गांव के एक ग्रामीण पेलिन देपारी ने कहा कि ज्वालामुखी से 5 किमी की दूरी पर रहने वाले ग्रामीण भी उसकी गड़गड़ाहट को सुन रहे हैं। पेलिन ने बताया कि एक साल पहले भी इस ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट की वजह से 4 जिले प्रभावित हुए हैं। स्थानीय लोगों को प्रशासन मास्क और बचाव के अन्य सामान मुहैया करा रहा है। विस्फोट को देखते हुए तीसरे स्तर का अलर्ट जारी कर दिया गया है।(AP Photo/Sugeng Nuryono)
जकार्ता पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इस ज्वालामुखी ने शनिवार को देर रात राख उगलना शुरू किया था। यह करीब एक घंटे तक जारी रहा। इंडोनेशिया के अधिकारियों ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों को इस ज्वालामुखी की पहाड़ी से 3 किलोमीटर के दायरे से दूर रहने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि ज्वालामुखी अभी और राख और लावा उगल सकता है। इससे पहले करीब 400 साल तक ठंडा रहने के बाद यह 2010 में धधकना शुरू हुआ था और फिर 2013 में फूटा था। 2014 में इसकी जद में आने से 14 लोगों की मौत हो गई थी।(AP Photo/Sugeng Nuryono)