सऊदी ने पाक से $1 बिलियन और चुकाने को कहा?
पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री के सार्वजनिक तौर पर सऊदी अरब की आलोचना कर दी जिसके बाद पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान से उसे दिया गया 1 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने को कह दिया। साल 2018 में सऊदी ने पाकिस्तान को 3.2 अरब डॉलर का कर्ज दिया था, उसी में से यह हिस्सा मांग लिया गया। वहीं, पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि सऊदी ने पाकिस्तान से अब एक बिलियन डॉलर और चुकाने के लिए कहा है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या पाकिस्तान और सऊदी के बीच संबंधों में दरार आ रहा है?
कुरैशी ने क्या कहा था
कुरैशी के बयान के बाद पाकिस्तान से सऊदी ने 1 बिलियन डॉलर चुकाने को कहा था। पाकिस्तान ने यह राशि चुका दी लेकिन साथ ही अपनी मजबूरी भी बताई कि यह एक बड़ी राशि है। बावजूद इसके सऊदी ने उससे एक बिलियन डॉलर और चुकाने को कहा है। पाकिस्तान के मीडिया ने यह दावा किया है। दरअसल, कुरैशी ने कहा था कि सऊदी OIC को (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ खड़ा नहीं होने दे रहा है। कुरैशी ने कहा था कि ओआईसी कश्मीर पर अपने विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में हीलाहवाली बंद करे। पाकिस्तान कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद से ही 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने के लिए लगातार सऊदी अरब पर दबाव डाल रहा है।
हर बार हो जाता है फेल
अब तक उसे इस प्रयास में सफलता नहीं मिल पाई है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक ओआईसी की बैठक न होने के पीछे एक बड़ी वजह सऊदी अरब है। सऊदी अरब ओआईसी के जरिए भारत को कश्मीर पर चित करने की पाकिस्तानी चाल में साथ नहीं दे रहा है। दरअसल, ओआईसी में किसी भी कदम के लिए सऊदी अरब का साथ सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
कुरैशी ने क्यों दिया ऐसा बयान
माना जा रहा है कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलने से कुंठित कुरैशी ने यह बयान दिया था। यह भी कहा जा रहा है कि देश में कड़ी पकड़ रखने वाली सेना के कहने पर उन्हें यह बयान दिया, खासकर इसलिए ताकि सऊदी के रुख को भांपा जा सके। इसके अलावा इस्लामाबाद में यह खबरें भी हैं कि वह खुद को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बराबर का दिखाना चाहते हैं।
क्या सऊदी को मना पाएगा पाक?
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान अब उच्च-स्तरीय डेलिगेशन को रियाद भेजेगा। अगर सऊदी ने पाकिस्तानी वर्कर्स को देश वापस भेजने का फैसला कर लिया तो पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हो सकता है। पाकिस्तान तुर्की, ईरान, कतर और मलेशिया के साथ मिलकर सऊदी की जगह दूसरा इस्लामिक हब बनाना चाहता था जो रियाद ने होने नहीं दिया। वहीं, मलेशिया में मताहिर मोम्मद के बाहर होने के बाद पूरा प्लान ठंडा पड़ गया। यहां तक कि उसने ग्वदर पोर्ट पर निर्माण का प्लान भी छोड़ दिया।
पाक का दोस्त चीन किसका साथ देगा?
इसके अलावा एक बड़ा फैक्टर यह भी है कि खाड़ी के देशों और भारत के बीच नजदीकी बढ़ी है। भारत, सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आर्थिक संबंध तो थे ही, सिक्यॉरिटी और रक्षा संबंध भी गहराते जा रहे हैं। दूसरी ओर चीन भी अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान में मार्केट के नुकसान पर अब मिडिल ईस्ट और खाड़ी पर नजर लगाए है। सऊदी में यूरेनियम एक्सप्लोरेशन में भी वह शामिल है। ऐसे में चीन सऊदी के साथ दुश्मनी में पाकिस्तान का साथ दे, यह मुश्किल हो सकता है।
(TOI के लिए इंद्राणी बागची की रिपोर्ट से इनपुट समेत)