ज्यादातर लोगों को नहीं कोरोना वैक्सीन की जरूरत
दुनियाभर में कोरोना वायरस ने अब तक 1 करोड़ 08 लाख 50 हजार 210 लोगों को अपनी चपेट में लिया है जबकि 5 लाख19 हजार 977 लोगों की मौत हो चुकी है। इस आंकड़े को काबू में करने के लिए दुनिया के कई मेडिकल इंस्टिट्यूट्स के साथ-साथ ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी भी लगी है, जिसे वैक्सीन की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि यूनिवर्सिटी की प्रफेसर सुनेत्रा गुप्ता कोरोना वायरस की महामारी पर नकेल कसने के लिए सिर्फ लॉकडाउन लगाए जाने का समर्थन नहीं करती हैं। इसलिए उनका नाम तक ‘प्रफेसर रीओपन’ रख दिया गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से बातचीत में एपिडीमियॉलजिस्ट प्रफेसर गुप्ता ने बताया कि क्यों लॉकडाउन कोरोना वायरस को रोकने में लंबे समय तक कारगर रहने वाला समाधान नहीं है। उनका यह भी कहना है कि ज्यादातर लोगों को COVID-19 की वैक्सीन की जरूरत नहीं होगी। प्रफेसर गुप्ता ने बताया है कि सामान्य और स्वस्थ लोग, जो न बहुत बुजुर्ग हों, न कमजोर और न एक ही वक्त पर कई बीमारियों से पीड़ित हों, उनमें यह वायरस आम बुखार से ज्यादा चिंता का कारण नहीं है।
प्रफेसर गुप्ता ने कहा कि जब वैक्सीन आएगी तो वह कमजोर लोगों को मजबूती देगी और ज्यादातर लोगों को कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। गुप्ता का मानना है कि कोरोना वायरस की महामारी प्राकृतिक तरीके से ही खत्म हो जाएगा और इन्फ्लुएंजा की तरह ही जीवन का हिस्सा बन जाएगी। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि इन्फ्लुएंजा की तुलना में इससे मरने वालों की संख्या कम होगी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाना आसान है और गर्मी के अंत तक वैक्सीन के कारगर होने के सबूत मिल जाएंगे।’
प्रफेसर ने कहा है कि लॉकडाउन एक अच्छा कदम है लेकिन बिना गैर-फार्मासूटिकल तरीकों के कोरोना वायरस को लंबे समय तक दूर रखने के लायक नहीं है। गुप्ता ने कहा है कि कुछ जगहों पर दूसरी वेव किसी और इलाके में पहली वेव की वजह से है। उनका कहना है कि ऐसे कई देश हैं जहां लॉकडाउन सफलता से हो गया और अब वायरस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
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