नशा मुक्त भारत : “अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस” पर आज 272 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों के लिए वार्षिक कार्य योजना (2020-21) का ई-शुभारम्भ किया गया
नई दिल्ली : केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने “अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस” के अवसर पर आज यहां “सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों के लिए नशा मुक्त भारत : वार्षिक कार्य योजना (2020-21)” का ई-शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने नशीले पदार्थों की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना से संबंधित लोगो और टैगलाइन तथा नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाए गए 9 वीडियो स्पॉट्स भी जारी किए। एसजेएंडई मंत्रालय में सचिव श्री आर. सुब्रमण्यम और संयुक्त सचिव सुश्री राधिका चक्रवर्ती इस अवसर पर उपस्थित रहे। इसमें राज्य सरकारों और एनजीओ के प्रतिनिधियों ने भी ऑनलाइन भागीदारी की।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय हर साल 26 जून को “अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस” के रूप में मनाता रहा है। यह नशीले पदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए एक नोडल मंत्रालय है, जो नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने से जुड़े सभी पहलुओं का समन्वय और निगरानी करता है जिसमें समस्या की सीमा का आकलन, निवारक कदम, नशे के आदी लोगों के उपचार और पुनर्वास, सूचना एवं जन जागरूकता का प्रसार शामिल है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि नशा मुक्त भारत वार्षिक कार्य योजना, 2020-21 में सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों (सूची अनुलग्नक में है) पर ध्यान केन्द्रित किया गया है और नारकोटिक्स ब्यूरो, सामाजिक न्याय द्वारा जागरूकता और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार के संयुक्त प्रयासों वाले त्रिस्तरीय हमलों का शुभारम्भ किया गया। कार्य योजना के भाग इस प्रकार हैं : जागरूकता फैलाने से जुड़े कार्यक्रम; उच्च शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और विद्यालयों पर जोर; अस्पतालों में उपचार सुविधाओं पर जोर; और सेवा प्रदाता के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
उन्होंने कहा कि नेशनल सर्वे ऑन एक्स्टेंट एंड पैटर्न ऑफ सब्सटैंस यूज इन इंडिया के निष्कर्षों और जिलों की सूची जो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के दृष्टिकोण से आपूर्ति के लिहाज से संवेदनशील हैं, उनके आधार पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देश भर के संवेदनशील जिलों में हस्तक्षेप कार्यक्रम चलाएगा। इसके उद्देश्यों में नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों और युवाओं को जागरूक करना; सामुदायिक भागीदारी और जन सहयोग बढ़ाना; मंत्रालय समर्थित वर्तमान नशा मुक्ति केन्द्रों (आईआरसीए) के अलावा सरकारी अस्पतालों को नशा मुक्ति केन्द्र खोलने के लिए समर्थन देना; और भागीदारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम कराना शामिल है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से नशे के आदियों की पहचान, उपचार और पुनर्वास के लिए समुदाय आधारित सेवाएं उपलब्ध कराता है। मंत्रालय नशा मुक्ति केन्द्र चलाने के लिए देश भर के एनजीओ को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है। मंत्रालय ने नशीले पदार्थों के पीड़ितों, उनके परिवारों और व्यापक स्तर पर समाज की सहाचता के लिए 24×7 राष्ट्रीय टोल फ्री नशा मुक्ति हैल्पलाइन नंबर 1800110031 भी स्थापित किया है।
श्री कटारिया ने कहा कि मंत्रालय ने 2018-2025 की अवधि के लिए नशीले पदार्थों में कमी लाने को एक राष्ट्रीय कार्य योजना भी तैयार की है, जिसका उद्देश्य प्रभावित लोगों और उनके परिवारों को शिक्षा, नशा मुक्ति और पुनर्वास की एक बहु-स्तरीय रणनीति के माध्यम से नशाखोरी के नकारात्मक प्रभावों में कमी लाना है। कार्य योजना में निवारक शिक्षा, जागरूकता का प्रसार, क्षमता निर्माण, उपचार एवं पुनर्वास, गुणवत्ता मानकों की स्थापना, संवेदनशील क्षेत्रों में दखल, कौशल विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और नशा छोड़ने वालों को आजीविका समर्थन, राज्य/ संघ शासित क्षेत्र केन्द्रित हस्तक्षेप, सर्वेक्षण, अध्ययन, मूल्यांकन और शोध आदि शामिल हैं।
श्री सुब्रमण्यन ने अपने संबोधन में कहा कि नशाखोरी की समस्या और इसकी तस्करी समाज के स्तर पर है और इसीलिए, हमें अपने युवाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समुदायों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इससे जोड़ना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में इस कार्यक्रम का कोष 49 करोड़ रुपये था और 2019-20 में यह 110 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़ाकर 260 करोड़ रुपये यानी पांच गुना कर दिया गया है। इससे नशाखोरी और तस्करी की गंभीर समस्या से पार पाने की हमारी प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।
नशाखोरी की समस्या के समाधान के लिए सरकार में विभिन्न स्तरों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को महसूस करते हुए मंत्रालय ने राज्य सरकारों से योजना बनाने और स्थानीय विचारों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने, अपने चिह्नित क्षेत्रों में नशीले पदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए विशेष और उपयुक्त रणनीति बनाने के लिए कहा है। इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के क्रम में एनएपीडीडीआर के अंतर्गत कार्यक्रमों के लिए निगरानी प्रक्रिया में राज्य सरकारों को भी शामिल किया गया है।
कोविड-19 महामारी के कारण सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस के अवसर पर आज शराब और नशीले पदार्थों की रोकथाम के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने का कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सका।