चीन का धोखा, भारत की गलवान पर दो टूक
पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना से हिंसक झड़प करने के बाद गलवान घाटी पर दावा ठोंकने वाले चीन को भारत ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि उसकी हरकतों के नतीजे दोनों के बीच संबंधों पर दिखाई देंगे। चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने साफ-साफ कहा है कि चीन LAC पर नए ढांचे बनाना बंद करे, तभी दोनों के बीच शांति स्थापित की जा सकती है। गौरतलब है कि भारत में चीन के राजदूत ने शांति स्थापित करने को भारत की जिम्मेदारी बताया था।
‘गलवान घाटी पर दावे का फायदा नहीं‘
मिस्री ने शुक्रवार को कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मिलिट्री स्टैंडऑफ को सुलझाने का सिर्फ एक तरीका है कि चीन नए ढांचे खड़े करना बंद करे। उन्होंने कहा, ‘चीन के गलवान घाटी पर दावे का समर्थन बिलकुल नहीं किया जा सकता। यह बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने से कोई फायदा नहीं होगा। चीन की यथास्थिति को बदलने की कोशिश के नतीजे जमीन पर दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर दिखाई देंगे।’ मिस्री ने यह भी कहा है कि बाकी के द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति स्थापित करना बेहद जरूरी है।
सीमा पर पीछे हटता नहीं दिख रहा ड्रैगन
दरअसल, 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत हुई थी और दोनों सेनाएं पीछे हटने पर सहमत हुई थीं। हालांकि, लगातार सामने आ रहीं सैटलाइट तस्वीरों से संकेत मिल रहे हैं कि चीन की सेना पीछे हटना तो दूर, अलग-अलग इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पैन्गॉन्ग झील के किनारे, कोंगका और हॉटस्प्रिंग्स के क्षेत्र में और यहां तक कि जिस जगह 15 जून की झड़प हुई थी, वहां भी उसके नए ढांचे दिखाई दे रहे हैं।
चीनी राजदूत ने कहा, भारत पर शांति की जिम्मेदारी
यही नहीं, भारत में चीन से राजदूत सुन वेइडोंग ने भारतीय सेना पर उलटा आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय सेना ने LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पार की थी और चीन के बॉर्डर की रखवाली करने वाले दस्ते पर हमला बोला था। वेइडोंग ने यह भी कहा कि भारतीय सेना ने ही दोनों देशों के बीच तय अग्रीमेंट को तोड़ा है। हम भारत से अपील करते हैं कि वह इसकी जांच कराए। दोनों सेनाओं के बीच गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है।