जीवन के अंधकार में प्रकाश प्रदान करती है देवी शैलपुत्री

जीवन के अंधकार में प्रकाश प्रदान करती है देवी शैलपुत्री
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प्रतिपदा तिथि 1 अक्टूबर 2016 को प्रात:काल साढ़े पांच बजे बाद प्रारंभ होगी तथा 2 अक्टूबर 2016 को प्रात:काल साढ़े सात बजे के करीब समाप्त होगी. नवरात्रि के अवसर पर घटस्थापना का मुहूर्त विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी के साथ नवरात्रि की नौ दिन की पूजा-साधना शुरू होती है. वैसे नवरात्रि घटस्थापना को लेकर अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग मुहूर्त निकाले जाते हैं, इसके दो कारण हैं- पहला, हर शहर के सूर्योदय का समय अलग अलग होता है और दूसरा, शुभ मुहूर्त को लेकर स्थानीय धारणाएं अलग अलग हैं.

देवी शैलपुत्री –

* देवी दुर्गा के नौ रूप हैं, जिनकी नवरात्रि में पूजा-अर्चना की जाती है.

* प्रथम स्वरूप- देवी शैलपुत्री हैं, जिनकी नवरात्रि के पहले दिन पूजा-अर्चना की जाती है.

* पर्वतराज हिमालय पुत्री स्वरूप होने के कारण इन्हें माता शैलपुत्री  पुकारा जाता है.

* वृषभ-स्थिता माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित हंै.

* ओम देवी शैलपुत्र्यै नम: …मंत्र के साथ देवी को प्रिय चमेली का फूल अर्पित करें, देवी जीवन के अंधकार को दूर कर जीवन में सफलता के लिए प्रकाश प्रदान करेंगी.

* मन के कारक चन्द्रदेव की प्रसन्नता और मानसिक शांति के लिए नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करें.

* वैसे तो नवरात्रि के व्रत-पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि-सफलता आती है लेकिन कर्क राशि के जो श्रद्धालु यदि सभी दिन व्रत नहीं कर सकें तो उन्हें नवरात्रि के पहले दिन का व्रत रख कर जीवन में सुख-समृद्धि-सफलता के लिए देवी शैलपुत्री की आराधना करनी चाहिए.

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