कोरोना: छोटा सा देश, दुनिया को दी बड़ी 'सीख'
देश में कोरोना का मामला सामने आते ही सरकारी और गैर-सरकारी तंत्र तुरंत अलर्ट हो गया। वहां की सरकार ने दूसरे देशों से सबक लेते हुए कारगर कदम उठाए। राष्ट्रपति हेग जी. जीनगोब ने 10 घंटे के अंदर ही इथियोपिया की राजधानी और दोहा से आवाजाही पर रोक लगा दी। उन्होंने नागरिकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए देश में आपातकाल लागू कर दिया। 24 मार्च को 30 दिनों के लिए देश के बॉर्डर सील कर दिए गए। देश के अंदर भी आवाजाही पर रोक लगा दी गई।
जल्द कदम उठाने का मिला फायदा
ये सभी फैसले देश में दो केस सामने आने के तुरंत बाद ही उठा लिए गए। नामीबिया की प्रधानमंत्री सारा कुनगोंगेल्वा कहती हैं कि सरकार ने तुरंत एक हेल्थ प्रोग्राम शुरू किया ताकि आइसोलेट किए गए लोगों का इलाज किया जा सके। लॉकडाउन हुआ तो उसका असर लोगों पर भी पड़ा। इसे कम करने के लिए समाज के सबसे कमजोर तबके को एक बार सैलरी का लाभ दिया गया। खाने के पैकेट बांटे गए। बिजनेस को दोबारा शुरू करने के लिए व्यापारियों को प्रोत्साहन पैकेज दिया गया। लोगों को घर में रहने के लिए तैयार करना आसान नहीं था। प्रधानमंत्री का कहना है कि हमने जो कुछ इस समय में सीखा है उसे आगे ले जाने की जरूरत है। हमें अपना हेल्थकेयर सिस्टम मजबूत करना है और उसमें महिलाओं को शामिल करना है।
देश में आवाजाही दोबारा की शुरू
नामीबिया में जब कोरोना महामारी को नियंत्रण में आ गई तो देश में आवाजाही को इजाजत दे दी गई। लेकिन बॉर्डर अभी भी बंद रखे गए ताकि विदेश से नए मामले न आएं। ऐसा माना जा रहा है कि देश में ज्यादा घनी आबादी नहीं इस वजह से महामारी की रोकथाम में मदद मिली। नामीबिया का जनसंख्या घनत्व 3 प्रति वर्ग किलोमीटर है। हालांकि कुछ इलाकों में घनी आबादी है जिस वजह से वहां खतरा ज्यादा था। सरकार ने सबसे पहले राजधानी और तटीय इलाके इरोंगो में लॉकडाउन किया। अब सरकार का इरादा है कि देश की अर्थव्यवस्था में विविधता लाई ताकि आगे किसी भी स्थिति में देश आत्मनिर्भर हो।