ब्रिटेन की 'आजादी' है खतरनाक रिस्क: एक्सपर्ट्स
यूरोप में कोरोना वायरस की वजह से सबसे ज्यादा जानें ब्रिटेन में गई हैं। अब यहां सोमवार से धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलने की तैयारी है। ऐसे में एक्सपर्ट्स को चिंता है कि कहीं हालात फिर से बेकाबू न हो जाएं। सरकार ने ‘ट्रैक, ट्रैस और आइसोलेट’ प्रोग्राम शुरू किया है जिसके जरिए वायरस पर नजर रखने की तैयारी है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी तक इस प्रोग्राम की सफलता की पुष्टि नहीं हुई है। साथ ही देश में अभी भी हर दिन 8,000 नए केस सामने आ रहे हैं। ऐसे में लॉकडाउन खोलने से बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
खतरनाक रिस्क ले रही है सरकार
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिकल मेडिसिन के एक्सपर्ट जॉन ए़डमंड का कहना है कि सरकार रिस्क ले रही है। उन्होंने लॉकडाउन खोलने के फैसले को खतरनाक बताया है। एडमंड ब्रिटेन के साइंटिफिक अडवाइजरी ग्रुप फॉर इमर्जेंसीज (SAGE) के सदस्य भी हैं। SAGE के दो और सदस्यों पीटर हॉर्बी और जेरेमी फरार ने भी इस बात का समर्थन किया है। हॉर्बी का कहना है कि अभी भी इस बारे में कुछ तय नहीं है कि अगर स्कूल और दूसरे संस्थान खुले तो वायरस के रीप्रोडक्शन रेट को क्या होगा। उन्होंने बीबीसी रेडियो से कहा है कि ऐसे हालात में वापस जाना जहां नियंत्रण खो जाए, प्रतिबंधों के एक-दो और हफ्तों से ज्यादा नुकसानदायक है।
साइंस को ध्यान में रखकर नहीं बनाए नियम
एडमंड का कहना है कि सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि साइंटिफिक पहलुओं को ध्यान में रखकर फैसले किए जा रहे हैं लेकिन ऐसा है नहीं। पीएम के ञफिस ने भी कहा है कि सभी निर्देश ध्यान से बनाए गए हैं ताकि लॉकडाउन के बोझ को कम किया जा सके और रीप्रोडक्शन रेट को 1 के नीचे रखा जा सके। एडमंड का कहना है कि अभी यह रेट 0.7 से 0.9 के बीच है और बिना किसी कंटेनमेंट के यह 3-4 तक पहुंच जाएगा।
चरम पर पहुंचेगा वायरस तब बिगड़ेंगे हालात
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायरस जुलाई में अपने चरम पर पहुंचेगा। तब अस्पतालों में ज्यादा सुविधाओं और इलाज की जरूरत होगी लेकिन मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका भी रहेगी। मेडिकल फसिलटीज दबाव में आ जाएंगी। ऐसे में लॉकडाउन में ढील दिए जाने से हालात और खराब हो सकते हैं। बिना लक्षण वाले केसों की वजह से स्थिति कितनी खराब होगी, यह कहना तक मुश्किल हो चुका है।
हर रोज पांच हजार से ज्यादा केस
आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब दो हफ्ते से भारत में हर रोज पांच हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। 22 मई तक टेस्टिंग पॉजिटिविटी रेट 4% था जबकि मृत्यु दर 3% और रिकवरी रेट 40% था। 25 मार्च को जब सबसे पहले लॉकडाउन लागू किया गया था तब तक देश में सिर्फ 536 मामले थे और अब दो महीने बाद 1,81,401 मामले हो चुके हैं। लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्या में देश के अंदर पलायन होने से छोटे शहरों और गांवों तक कोरोना पहुंच चुका है। हार्वर्ड डेटा साइंस रिव्यू में छपे एक पेपर के मुताबिक 8 हफ्ते के लॉकडाउन से 20 लाख इन्फेक्शन केस रोके जा सके और 3% मृत्युदर की वजह से कम से कम 60 हजार मौतों को भी रोका जा सका। इसलिए यह आशंका भी बरकरार है कि कहीं लॉकडाउन का असर जल्दी खोलने पर कम न हो जाए।