चीन की दो वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज-2 में
चाइना नैशनल फार्मासूटिकल ग्रुप को.लि. (Sinopharm) ने दो इनैक्टिव वैक्सीन डिवेलप की हैं जो अब क्लिनिकल ट्रायल के फेज-2 में पहुंच चुकी हैं। पहले और दूसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल में दो हजार से ज्यादा वॉलंटिअर्स को वैक्सीन दी गई और किसी में भी साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है। Sinopharm ग्रुप के चेयरमैन लिउ झिंगजेन ने शुक्रवार को बताया है कि 180 वॉलंटिअयर्स ने इनैक्टिव वैक्सीन ली है और वॉलंटिअर्स में ऐंटीबॉडी का लेवल कोरोना वायरस के खिलाफ पर्याप्त पहुंच गया था।
असरदार मिली दवा
साथ ही 100% प्रोटेक्टिव रेट भी दर्ज किया गया जिसे एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। लिउ ने बताया कि वॉलंटिअर्स के एक और ग्रुप में भी COVID-19 वैक्सीन सेफ और असरदार पाई गई हैं। Sinopharm के दो रीसर्च इंस्टिट्यूट- पेइचिंग बायलॉजिकल प्रॉडक्ट्स इंस्टिट्यूट और वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ बायलॉजिकल प्रॉडक्ट्स को फेज-2 के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अप्रैल में अप्रूवल मिल गया था।
वुहान इंस्टिट्यूट अब वैक्सीन के उत्पादन के लिए प्लांट का विस्तार कर रहा है। पेइचिंग इंस्टिट्यूट भी एक प्लांट का निर्माण कर रहा था जो तीन महीने में तैयार हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह दुनियाभर में COVID-19 वैक्सीन का सबसे बड़े बड़े उत्पादन केंद्र है। दोनों संस्थान मिलकर साल भर में 200 मिलियन डोज से ज्यादा बनाने की क्षमता रखते हैं।
खोज में जुटे हैं वैज्ञानिक
पूरी दुनिया को ठप करने वाले कोरोना वायरस () को रोकने के लिए वैक्सीन सबसे मारक हथियार है। इसीलिए तमाम रिसर्चर्स और साइंटिस्ट्स लगे हुए हैं इस महामारी की काट खोजने में। भारत में वैक्सीन बनाने के लिए खास तैयारियां की गई हैं। वैक्सीन बन जाए, उसके बाद तेजी से उसके प्रॉडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन को शुरू करने के लिए भी प्लान तैयार है। इसके अलावा कुछ दवाओं पर भी रिसर्च हो रहा है जिनसे कोविड-19 से इलाज में मदद मिलने की उम्मीद है। आइए जानते हैं कि सरकार के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन के लिए भारत कैसे महाखोज कर रहा है।