सूडान: अपराध होगा खतना, 3 साल की जेल-जुर्माना

सूडान: अपराध होगा खतना, 3 साल की जेल-जुर्माना
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

खार्तूम
दशकों से महिला अधिकारियों के हनन का गवाह बन चुका अब एक नए दौर में कदम रख रहा है। इसकी उम्मीद अंतरिम सरकार के एक फैसले से मिली है जिसके बाद महिलाओं के खतने को अपराध करार दिया गया है। सामाजिक भेदभाव झेल रहीं महिलाओं को इस रुढ़िवादी परंपरा के चलते बेइंतिहा दर्द से गुजरना पड़ता था लेकिन अब उन्हें इससे निजात मिलने वाली है। सरकार ने किए जाने पर तीन साल की जेल और जुर्माने का ऐलान किया है।

क्या है नया कानून
सूडान उन देशों में से एक है जहां खतने की दर काफी ज्यादा रही है। इसके खिलाफ महिला अधिकार संगठन लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं। पिछले साल तख्तापलट के बाद देश में बनी अंतरिम सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए इसे अपराध करार दिया है। किसी भी मेडिकल संस्थान या घरों में भी खतना किए जाने पर तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस कदम की UNICEF समेत दुनियाभर में तारीफ की जा रही है।

10 में से 9 महिलाएं पीड़ित
सूडान में UNICEF के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल के मुताबिक ये परंपरा न सिर्फ बच्चियों के अधिकारियों का हनन है बल्कि इसका उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। किडनी से लेकर यूटराइन इन्फेक्शन और गर्भ से जुड़ी परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में 10 में से 9 महिलाओं का खतना किया जाता है। 14 से 49 साल की 87% महिलाओं को इस दर्द से गुजरना पड़ता है।

अभी सामने बड़ी चुनौती
हालांकि, एक्सपर्ट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि सिर्फ कानून घोषित करने से फिलहाल महिलाओं के जीवन से यह अभिशाप नहीं जाने वाला है। समाज के एक बड़े तबके का इस परंपरा में विश्वास है। यह समस्या किसी एक धर्म की भी नहीं है बल्कि अलग-अलग धर्मों के लोगों का यह मानना है कि बिना खतने के उनकी बच्चियां शादी के लायक नहीं होंगी। इसलिए सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती लोगों को जागरूक करने की भी होगी।

क्या होता है खतना
खतना एक ऐसी परंपरा होती है जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट या उसके एक हिस्से को काट दिया जाता है। सूडान में ज्यादातर क्लाइटोरिस की अंदरूनी स्किन को हटाया जाता है। कई बार क्लाइटोरिस को ही निकलवा दिया जाता है। न सिर्फ यह प्रक्रिया दर्दनाक होती है बल्कि बेहद खतरनाक भी। अमूमन यह घर पर किया जाता है बिना अनेस्थीसिया दिए। कई मामलों में बच्चियों की जान तक चली जाती है।

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.