दुर्लभ: कैमरे में कैद धूमकेतु के टूटने की तस्वीरें
सबसे चमकीला धूमकेतु
ऐस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि इसके अंदरूनी बर्फीले हिस्से टूटने लगे थे जिसके चलते इसकी चमक कम होती जा रही थी। ATLAS का बिखरना तब कन्फर्म हुआ जब ऐस्ट्रोनॉमर होजे डि किरोज ने इसके तीन हिस्सों की तस्वीरें 11 अप्रैल को ली थीं। इससे पहले मध्य मार्च में इसकी बाहरी गैसों की वजह से 447,387 मील को हो गया था और यह बेहद चमकीला हो गया था। ATLAS की चमक जैसे ही कम होने लगी, इसके टूटने की आशंका होने लगी। हबल की तस्वीरों से पता चलता है कि यह 20 से 23 अप्रैल के बीच टूटा। इनमें दिख रहा है कि कैसे ये सभी सूरज की रोशनी में चमक रहे थे।
आम नहीं यह घटना
इससे यह भी संभावना जताई जा रही है कि शायद कॉमेट्स ऐसे ही टूटते हैं और मर जाते हैं। UCLA के डेविड जीविट ने बताया कि दो दिन में कॉमेट ऐसे बदल गया कि पहचानना मुश्किल हो गया। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह नहीं पता है कि ऐसा क्यों होता है। हो सकता है कि सूरज की रोशनी पड़ने से अलग-अलग समय पर ये हिस्से चमक रहे हों या ये हिस्से अलग-अलग दिनों पर दिखाई दे रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के कांझी ये ने बताया कि ऐसी घटनाएं आम नहीं होती हैं। ज्यादातर कॉमेट्स के टुकड़े इतने चमकीले नहीं होते हैं।
दशकों में एक बार नजारा
ऐस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि कॉमेट किसी भी समय तेजी से टूट जाते हैं। इसलिए इन्हें ऑब्जर्व करना बेहद मुश्किल होता है। 10-20 साल में ऐसी घटनाएं एक बार ही देखने को मिलती हैं। इस वजह से कॉमेट्स के टूटने की वजह भी पता नहीं चल पाती है। एक थिअरी ये है कि जैसे-जैसे कॉमेट सूरज के पास पहुंचता है, उसके केंद्र में जमी बर्फ से निकलने वाली गैसें इसके टूटने का कारण बनती हैं। दरअसल, ये गैसें हर हिस्से में समानता से नहीं पहुंचती हैं। माना जा रहा है कि टूटने से पहले इसका केंद्र दो फुटबॉल फील्ड्स के बराबर रहा होगा।
फिलहाल ATLAS मंगल ग्रह की कक्षा में हैं। हबल ने जब तस्वीरें लीं तो यह धरती से करीब 100 मिलियन मील पर था। 23 मई को यह धरती के सबसे करीब 71 मिलियन मील की दूरी पर आएगा। इसके 8 दिन बाद सूरज के 22 मिलियन मील नजदीक पहुंच जाएगा।