बजट में टैक्स कम करने के जेटली ने फिर दिए संकेत
नई दिल्ली । अगले वित्त वर्ष का बजट कर व्यवस्था में भारी बदलाव की जमीन तैयार करने वाला साबित होगा। सरकार न सिर्फ आम जनता और उद्योग जगत पर टैक्स का बोझ घटाने जा रही है, बल्कि कर दायरा बढ़ाने को लेकर भी कुछ अहम एलान कर सकती है। नोटबंदी के बाद कई उद्योगों में मंदी के संकेत मिलने लगे हैं। इसे दूर करने में यह तरकीब काम करेगी। ग्लोबल स्तर पर भारतीय उद्यमियों को मिल रही चुनौतियों से निपटने में भी इससे मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को फरीदाबाद में एक कार्यक्रम में इसका स्पष्ट संकेत भी दिया है। जेटली ने कहा कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार करना है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पद्र्धी कर दरें रखनी होंगी, क्योंकि अब प्रतिस्पर्धा आंतरिक नहीं, बल्कि वैश्विक हो गई है।
दस दिनों के भीतर यह दूसरा मौका है, जब जेटली ने कर दरें घटाने की बात कही है। पिछले बजट में भी उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स की दरें घटाई थीं।
वित्त मंत्री अगले वित्त वर्ष का बजट संभवत
एक फरवरी को पेश करेंगे। उसके करीब दो पखवाड़े पहले इस तरह का बयान महत्वपूर्ण है। वित्त मंत्रालय ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट से पहले कहा था कि कॉरपोरेट टैक्स की दर 25 फीसद के करीब होनी चाहिए। इसके लिए चार वर्ष की समय सीमा तय की गई थी।
मंत्रालय के अफसरों के मुताबिक सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकती है। नोटबंदी के माहौल में बीते दिनों जेटली ने उद्योग जगत के साथ बजट पूर्व बैठक की थी, तो सभी ने उनसे कॉरपोरेट टैक्स दर को 18-20 फीसद करने की मांग की। एशिया के प्रमुख विकासशील देशों में इसकी दर भारत में सबसे ज्यादा है।