हर बच्चे का जल्द ही बनेगा हेल्थ कार्ड: मृदुला सिन्हा
रांची. महानिदेशक, झारखंड राज्य पोषण मिशन श्रीमती मृदुला सिन्हा ने कहा कि कुपोषण के खिलाफ अगर हम रणनीति के तहत काम करेंगे तो सुखद परिणाम हमारे सामने होगा. बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर अगर उनके परिजन ध्यान रखें तो परेशानियां स्वतः समाप्त होंगी. केवल साग-सब्जी उगाने से कुपोषण समाप्त नहीं होगा. सही समय पर सही कदम इसका समाधान है. श्रीमती सिन्हा बुधवार को प्रोजेक्ट भवन स्थित नया सभागार में झारखंड सरकार और नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन,हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में कुपोषण के नियंत्रण के उपायों के प्रसार हेतु आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थीं. उन्होंने कहा कि हमें नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन व कुपोषण के उन्मूलन हेतु कार्यरत अन्य संस्थानों से समन्वय स्थापित कर काम करने की जरूरत है.
श्रीमती सिन्हा ने बताया कि राज्य से कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. किसी भी बच्चे के लिए 1 हजार दिन महत्वपूर्ण हैं . इस पर ध्यान देने की जरुरत है. अगर यह छूट गया तो बच्चे का संपूर्ण विकास संभव नहीं. आनेवाले दिनों में राज्य के हर बच्चे का स्वास्थ्य कार्ड बनेगा. जमशेदपुर में इसके तहत घर-घर जाकर सर्वे का कार्य हो रहा है. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन ने वैज्ञानिक पद्धति से काम कर पांच जिलों में कुपोषित किशोरियों , गर्भवती एवं स्तनपान करा रही महिलाओं की स्थिति का आंकड़ा प्रस्तुत किया है. यह राज्य के लिए महत्वपूर्ण है.
प्रधान सचिव महिला एवं बाल विकास श्री मुखमित सिंह भाटिया ने कहा कि राज्य में कुपोषण समाप्त करने की दिशा में एक वर्ष से लगातार काम हो रहा है. वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर हमें काम करने की जरूरत है. कुपोषण की वर्तमान स्थिति और आंकड़े बताते हैं कि यह हमारे लिए चुनौती है. इसे दूर करना मुश्किल काम नहीं है. हम कुपोषण मुक्त झारखण्ड का सपना पूरा करेंगे. जमीनी स्तर पर इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग रणनीति पर ध्यान दें. क्योंकि जमीनी स्तर की जानकारी बहुत मायने रखती है. राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है कि कैसे इसका उन्मूलन हो और झारखण्ड कुपोषण मुक्त राज्य की श्रेणी में खड़ा हो सके. उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन को राज्य में कार्यरत अन्य संस्थाओं का भी परस्पर सहयोग लेना चाहिए.
निदेशक, महिला एवं बाल विकास श्री रविंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पोषण का विकास एवं कुपोषण का उन्मूलन कैसे हो. इसपर विचार कर कारगर कदम उठाने की जरूरत है. हमारे पास मानव संसाधनों की कमी नहीं है. उनका पूर्ण सहयोग प्राप्त कर बेहतर ढंग से कुपोषण उन्मूलन किया जा सकता है. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन ने पांच जिलों में सर्वे कर कुपोषण की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया है. राज्य सरकार इस मामले में गंभीर और सजग है. इसके उन्मूलन पर काम हो रहा है, जल्द ही इस दिशा में किए जा रहे सार्थक परिणाम हमारे सामने होंगे.
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन के वैज्ञानिक श्री ए.लक्ष्मया ने कहा कि पूरे देश में कुपोषण की समस्या करीब 30 वर्ष से है. केंद्र और राज्य सरकार कुपोषण से मुक्ति के लिए योजना के तहत काम कर रही है. झारखण्ड से प्राप्त जानकारियों, सहयोग और योजना की बदौलत इस समस्या को दूर करने का प्रयास होगा. राज्य में संस्थान तीन चरणों में काम करेगी. पहला चरण पूर्ण हो चुका है. दो अन्य चरणों में जल्द काम प्रारंभ होगा.
इस अवसर पर नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ न्यूट्रीशन द्वारा राज्य के चतरा, कोडरमा, धनबाद,दुमका और गिरीडीह में दो प्रखंड के पांच गांव में किये गए सर्वे की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. रिपोर्ट में बताया गया कि पांच वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों,गर्भवती एवं स्तपपान करा रही महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति क्या है.
इस अवसर पर विभिन्न जिलों से आयी बाल विकास पदाधिकारी, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व अन्य मौजूद थे.