शिक्षा की गुणवत्ता से ही बनती है विश्वविद्यालयों की पहचान : डॉ. रमन सिंह
रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से ही विश्वविद्यालयों की पहचान और प्रतिष्ठा बनती है। समारोह में पूर्व कुलपति तथा विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्य डॉ. व्ही.के. तनेजा ने दीक्षांत भाषण दिया। डॉ. सिंह ने कहा-राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में पशु चिकित्सा, पशुपालन, डेयरी प्रौद्योगिकी और मछली पालन जैसे क्षेत्रों में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कामधेनु विश्वविद्यालय की स्थापना की है। अपनी स्थापना के थोड़े ही समय में इस विश्वविद्यालय ने देश भर में सार्थक पहचान बनाई है और राष्ट्रीय स्तर पर गौरव हासिल किया है। दीक्षांत समारोह में 82 विद्यार्थियों को स्नातक, 20 को स्नातकोत्तर और 06 छात्रों को पी-एच. डी. की उपाधि प्रदान की गई। इनके अलावा पांच विद्यार्थियों को स्वर्ण पदकों से सम्मानित किया गया। डॉ. सिंह ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह से पहले विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 50 करोड़ रूपए की लागत के विभिन्न निर्माण कार्यों का लोकार्पण, भूमिपूजन और शिलान्यास किया।
मुख्यमंत्री ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा- इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियांे ने छत्तीसगढ़ की मिट्टी और विश्वविद्यालय के माध्यम से जो कुछ भी सीखा, समझा और ज्ञान अर्जित किया, उसका उपयोग वे राज्य और देश के विकास के लिए करें। और विश्वविद्यालय को एक मजबूत आधार दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान सहित विभिन्न फसलों की पैदावार में अच्छी वृद्धि हुई है और अब जरूरत इस बात की है कि यहां के पशुधन का भी ऐसा ही विकास हो। उन्होंने स्थानीय पशुओं की नस्लों के संवर्धन की जरूरत पर भी बल दिया। डॉ. सिंह ने उम्मीद जताई कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर अधिक से अधिक पशु चिकित्सा चिकित्सक एवं वैज्ञानिक तैयार होंगे। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय से उपाधि लेने वाले विद्यार्थियांे से कहा कि राज्य में पशु चिकित्सकों के रिक्त पदों मंे भर्ती की जानी है। इस विश्वविद्यालय के शत्-प्रतिशत् विद्यार्थी इन पदों में भर्ती होने के लिए आगे आएं और राज्य के विकास में भागीदार बने।
विशेष अतिथि की आसंदी से दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कृषि, पशुपालन और मछली पालन मंत्री श्री बृजमेाहन अग्रवाल ने कहा कि देश की 70 प्रतिशत आबादी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। कृषि जमीन उतनी ही है, लेकिन खेती पर आधारित आबादी बढ़ती जा रही है। ऐसे में किसानों और कृषि अर्थव्यवस्था बेहतर बनाने के लिए यह जरूरी है कि कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, उद्यानिकी, फूलों की खेती को बढ़ावा देकर समन्वित खेती की जाए। परम्परागत रूप से पशुओं के रोगों के उपचार आयुर्वेद के माध्यम से किया जाता था। इस संबंध में और अधिक शोध और विकास किए जाने जरूरत है। छत्तीसगढ़ में पशुओं के देशी नस्ल में सुधार की आवश्यकता बताते हुए उन्हांेने इस दिशा मंे भी शोध और वैज्ञानिक नीति से कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य है, जो पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा देने के लिए 12 लाख रूपए तक का लोन दे रहा है, जिसमें हितग्राहियों को 6 लाख रूपए की सब्सिडी दी जाती है। उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र केवल वर्तमान समय में ही बल्कि पुरातन समय से महत्वपूर्ण रहा है। यह व्यापार का नहीं बल्कि संस्कार का माध्यम रहा है और इससे अधिक लाखों-करोड़ों लोगों की आजीविका जुड़ी है। इस क्षेत्र मंे अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी के क्षेत्र में विशेषकर नई-नई खोज और अनुसंधान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य हर एक विश्वविद्यालय की अपनी एक अलग पहचान होनी चाहिए। दीक्षांत भाषण में डॉ. व्ही.के. तनेजा ने कहा कि गौवंशी, भैसवंशी और बकरियों की संख्या में भारत प्रथम स्थान पर है लेकिन हमारे गायों की उत्पादन क्षमता काफी कम है। गौवंश के संरक्षण के साथ संवर्धन की जरूरत है। अंडा एवं ब्रायलर के क्षेत्र में देश में बहुत विकास किया गया है, इस क्षेत्र को अभी भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है। पशुओं के नस्ल सुधार के लिए प्रजनन नीति बनाने है तथा कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसी तरह अमूल एवं नेसले के मॉडल को अन्य क्षेत्रों तक बढ़ाने तथा डेयरी विलेज क्लस्टर की अवधारणा को बढ़ावा देने की जरूरत है। कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यू.के. मिश्र ने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक की विशेष उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत अनेक संस्थाएं स्थापित की गई है। उन्होंने यहां के अनुसंधान कार्यों, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, आदिवासी उपयोजना के तहत संचालित योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि इस विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से भी सम्बद्धता मिल गई है। राज्य में मछली पालन महाविद्यालय कवर्धा तथा पशुधन महाविद्यालय बिलासपुर में और तीन स्थानों मंे वेटनरी पॉलीटेक्निक कॉलेज प्रारंभ किया गया है।
दीक्षांत समारोह में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, संसदीय सचिव श्री तोखन साहू, जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती माया बेलचंदन, महापौर श्रीमती चंद्रिका चंद्राकर और अपर मुख्य सचिव कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अजय सिंह भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विश्वविद्यालय परिसर में पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा के कालेज भवन के विस्तार, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय के क्लीनिकल ब्लाक, कालेज के कक्षाओं का आधुनिकीकरण और ई-क्लास का लोकार्पण किया। उन्हांेने एनीमल बायोटेक्नोलॉजीकल भवन, विश्वविद्यालय के अधिकारियों-कर्मचारियों की एफ टाईप आवास गृहों, जी टाईप आवास गृह, चिकित्सालय भवन, स्टाप छात्रावास भवन, आरसीसी सड़क निर्माण एवं पोस्ट मार्टम हॉल का शिलान्यास भी किया।