एंटोनियो गुटेरस ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद की ली शपथ, दिये बदलाव के संकेत
संयुक्त राष्ट्र : बान की मून का स्थान लेने वाले नये संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वैश्विक संकटों से निबटने के लिए 71 वर्षीय इस वैश्विक निकाय की क्षमता सुधारने के वास्ते उसमें सुधार करने, उसे विकेंद्रीकृत करने एवं लचीला बनाने का निश्चय किया.
पुर्तगाल के 67 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री एंटोनियो गुटेरेस एक जनवरी को बान से संयुक्त राष्ट्र की कमान संभालेंगे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में बान का पांच साल का दूसरा कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा होगा. गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र के नौंवे महासचिव बने हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष जॉन विलियम ऐश द्वारा महासचिव पद की शपथ दिलाये जाने के बाद गुटेरेस ने 193 सदस्य राष्ट्रों को संबोधित किया और कहा कि इस वैश्विक निकाय को विकेंद्रीकरण एवं अपनी नौकरशाही को लचीला बनाने के लिए काम करना चाहिए.
उन्होंने महासभा से कहा, ‘‘यदि उसे क्षेत्र में स्टाफ सदस्य को तैनात करने में नौ महीने लग जाते हैं तो इससे किसी का फायदा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र को फुर्तीला, कार्यकुशल एवं प्रभावी होने की जरूरत है. उसे प्रक्रिया पर कम, सेवाओं की आपूर्ति पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, नौकरशाही पर कम और लोगों पर अधिक बल देना चाहिए.’
गुटेरेस ने कहा, ‘‘यह संगठन बहुपक्षीयता में अहम है और उसने दशकों की सापेक्षिक शांति में योगदान दिया लेकिन चुनौतियां उनसे निबटने की हमारी क्षमता से आगे निकल रही हैं. संयुक्त राष्ट्र को बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए.’ उन्हें महासभा ने सर्वसम्मति से बान का उत्तराधिकारी नियुक्त किया था. पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने अक्तूबर में इस पद के लिए उनका नाम सर्वसम्मति से अंतिम मंजूरी के लिए महासभा के पास भेजने का फैसला किया था.
पूर्व संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी प्रमुख एक जनवरी को बान से कमान संभालेंगे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में बान का पांच साल का दूसरा कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा होगा. पूर्ण बैठक के दौरान वक्ताओं ने बान के योगदान की चर्चा की.
पुतर्गाल के पूर्व प्रधानमंत्री एवं संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त बान के उत्तराधिकारी के चुनाव में सबसे आगे बने रहेे. वैसे सिविल सोसायटी और कई संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने किसी महिला को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनाने की मांग की थी. अपने चुनाव के बाद गुटेरेस ने विश्व की बड़ी चुनौतियों का हल खोजने के लिए समन्वयक एवं सेतु का काम करने का निश्चय किया था.