हॉन्ग कॉन्ग ने वापस लिया बिल, महीनों प्रदर्शन
हॉन्ग कॉन्ग ने महीनों से चल रहे विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए आज विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया। इसके कारण यहां 20 सप्ताह से प्रदर्शन चल रहे थे और राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई थी। हॉन्ग कॉन्ग फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम विधान परिषद में मुख्य कार्यकारी के संबोधन के दौरान विरोध प्रदर्शन के कारण एक सप्ताह देरी से उठाया जा सका।
विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतर गई थी जनता
विधेयक की दूसरी रीडिंग बुधवार को फिर से शुरू की गई। सुरक्षा सचिव जॉन ली ने इसके बाद सदन से विधेयक वापस लेने का आग्रह किया। विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर पिछले करीब 5 महीने से काफी विवाद हो रहा था। विधेयक के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विधेयक वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। सितंबर में ही मुख्य कार्यकारी कैरी लैम ने इसे वापस लेने की घोषणा की थी।
पढे़ं : सोशल मीडिया पर भी प्रत्यर्पण विधेयक के खिलाफ आक्रोश
ऑनलाइन संदेश मंच गुस्से से भरी टिप्पणियों से पटे पड़े थे जिनमें कहा गया कि विधेयक को वापस लेने से प्रदर्शन खत्म नहीं होंगे। टेलीग्राम ऐप पर बेहद प्रचारित एक संदेश में कहा गया, ‘1,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, असंख्य घायल हुए।’ इसमें कहा गया, ‘5 प्रमुख मांगें, एक भी कम नहीं। हॉन्ग कॉन्ग को आजाद करें, अब क्रांति करें।’
पढे़ं : प्रत्यर्पण विधेयक के कारण शुरू आंदोलन ने पकड़ा जोर
इस विधेयक को मुख्य भूमि चीन की तुलना में हॉन्ग कॉन्ग को मिली आजादी के हनन के तौर पर देखा जा रहा था। लाखों लोगों के सड़कों पर उतर जाने के बाद लैम ने विधेयक को पारित कराने के प्रयासों को रोक दिया था। यह विधेयक किसी अपराध के संदिग्ध को मुख्य भूमि चीन को प्रत्यर्पित किए जाने की बात कहता था। विधेयक वापस लेने की मांग से शुरू आंदोलनकर्ता अब पूर्ण लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। हॉन्ग कॉन्ग स्वायत्तता प्राप्त शहर है, लेकिन इस पर चीन का प्रभुत्व है।
प्रदर्शनकारियों के लिए चीन का रुख बेहद सख्त
हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों की मांग चीन के प्रभुत्व से पूर्ण आजादी और पूर्ण लोकतंत्र बहाली की भी है। प्रदर्शनकारियों के लिए चीन का रुख बेहद सख्त रहा और चीन के सरकारी मीडिया में इनके लिए आतंकी तक प्रयोग किया गया। हॉन्ग कॉन्ग प्रदर्शन को लेकर अमेरिका और दूसरे कई देशों ने चीन के खिलाफ सख्त प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन चीन इसे लगातार आंतरिक मामला बताता रहा है।
Source: International